कमलदह पोखर पार्क का सौंदर्यीकरण:धार्मिक स्थल पीपल वृक्ष के पास शौचालय निर्माण, मोहल्लेवालों ने किया विरोध

विरोध दर्ज करते मोहल्ले के लोग -

कमलदह पोखर पार्क का सौंदर्यीकरण:धार्मिक स्थल पीपल वृक्ष के पास शौचालय निर्माण, मोहल्लेवालों ने किया विरोध

विरोध दर्ज करते मोहल्ले के लोग -
विरोध दर्ज करते मोहल्ले के लोग –

शहर के स्टेशन रोड स्थित कमलदह पोखर पार्क का सौंदर्यीकरण वन विभाग की ओर से किया जा रहा है। इस कार्य से लोग उत्साहित और खुश हैं। लेकिन, कार्य एजेंसी की मनमानी से लोगों में आक्रोश है। मंगलवार को अचानक पार्क परिसर का माहौल बदल गया। पीपल के वृक्ष के पास शौचालय निर्माण कराया जा रहा है। इसको लेकर वार्ड संख्या 13 के लोग भड़क गये। स्थानीय लोगों ने कहा कि यहां वार्ड नंबर 13 ही नहीं वरन वार्ड संख्या 14, 20 के अलावा अन्य इलाकों की महिलाएं एवं पुरूष पूजा करने के लिए आते हैं।

स्थानीय लोगों ने स्पष्ट रूप से कहा कि ना केवल हिंदू धर्म में बल्कि ज्योतिष व वास्तु शास्त्र में पीपल के पेड़ का धार्मिक महत्व है। ऐसी मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर भगवान विष्णु का वास होता है। यही वजह है कि सनातन व हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले बड़े ही आस्था के साथ पीपल वृक्ष का पूजा करते हैं।

वार्ड पार्षद व मुहल्लेवासियों ने सदर एसडीओ को दिया आवेदन
कमलदह पोखर परिसर में पीपल के वृक्ष के पास हो रहे शौचालय निर्माण पर अविलंब रोक लगाने व पीछे के गेट को नहीं बंद कराने की मांग को लेकर वार्ड संख्या 13 की पार्षद आशा तिवारी व मुहल्लेवासियों ने सदर एसडीओ को लिखित व हस्ताक्षरयुक्त आवेदन दिया है। उन्होंने अपने आवेदन में कहा है कि पूजा स्थल के पास शौचालय का निर्माण कराना उचित नहीं है। वहीं पीछे का रास्ता बंद कर देने से मुहल्ले के बुजुर्ग महिला, पुरूष और बच्चों को पार्क में आने में काफी परेशानी होगी।

काफी संख्या में पार्क में लोग स्वास्थ्य लाभ लेने व पीपील वृक्ष का पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। आवेदन पर कैलाश प्रसाद विश्वकर्मा, रंजू रानी, शंकरजी वर्मा, किरन वर्मा, तृप्ति सोनी, राजकुमार साह, अशोक साह, जय प्रकाश, नथुनी सिंह, मीरा देवी, दशरथ प्रसाद समेत 51 लोगों ने हस्ताक्षर बनाया है। काम पर रोक लगा दी है, वैकल्पिक इंतजाम होगा

लोगों की आस्था से खिलवाड़ का न हो काम
वार्ड संख्या 13 की पार्षद आशा तिवारी ने कहा कि पीपल का पेड़ की पूजा करने के लिए महिलाएं और पुरूष आते हैं। लोगों की आस्था जुड़ी है। इससे ठीक सटे शौचालय का निर्माण करने का मतलब लोगों के आस्था पर सीधे चोट पहुंचाना है। पार्क परिसर में जगह की कमी नहीं है। शौचालय पार्क परिसर में अन्यत्र स्थल पर बनाए या फिर पुराने शौचालय में जो भी कमी है उसे दुरूस्त कर आधुनिक सुविधाओं से लैस कर दिया जाय। इससे जहां निर्माण कार्य में लागत की कमी आएगी वहीं लोगों की आस्था पर भी चोट नहीं लगेगी।

“पूजा स्थल के पास शौचालय निर्माण नहीं होगा। उक्त मामले की जानकारी मिलने के बाद निर्माण एजेंसी को काम रोकने के लिए कहा गया है। उसे कहीं अन्यत्र शिफ्ट किया जाएगा। पूर्व से अकार्यरत शौचालयों को भी दुरुस्त करने की पहल की जाएगी।”

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