यूक्रेन में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स ;  हंगरी के रास्ते भारत लौटना चाहते हैं

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यूक्रेन में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स ;  हंगरी के रास्ते भारत लौटना चाहते हैं

 यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां फंसे भारतीय छात्रों की नाराजगी सामने आ रही है। ये छात्र मेट्रो स्टेशन और हॉस्टलों के बंकरों में छिपकर अपनी जान बचा रहे हैं। इन छात्रों का कहना है कि भारतीय एम्बेसी अगर समय रहते सक्रिय हो जाती तो इन बच्चों को वहां फंसने से बचाया जा सकता था। बच्चों ने क्लासें ऑनलाइन चलवाने की मांग की थी, लेकिन एम्बेसी ने उनकी मांग पर ध्यान ही नहीं दिया। एक छात्र का कहना है कि युद्ध के बीच भी क्लासेस लगाई जा रही हैं। इन सबके बीच भारतीय छात्र कीव में शरणार्थियों के तरह रहने को मजबूर हैं। कुछ छात्र हंगरी के रास्ते घर वापसी के प्रयास में लगे हैं

भागलपुर के शुभम सम्राट भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। शुभम ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है। शुभम ने एक वीडियो मैसेज जारी कर कहा कि- ‘पिछले कुछ दिनों से रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई की आशंका थी। हम लोग यहां पढ़ाई कर रहे हैं। क्लासेस ऑफलाइन हैं। युद्ध की आशंका को देख इंडियन एंबेसी को हमने कई मेल किए कि क्लास ऑनलाइन करवा दें। पर बहुत कोशिशों के बाद भी वे लोग ऑनलाइन क्लास के लिए नहीं माने, तो हम लोगों ने यहीं रह कर अपनी पढ़ाई जारी रखी। क्लासेस अगर ऑनलाइन करा दी जाती तो हम घर जाकर भी पढ़ाई जारी रख पातें। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। क्लासेस ऑफलाइन ही चल रही थी। हम लोग यहां कॉलेज के हॉस्टल में फंसे हुए हैं।

बलिया के नगरा निवासी अखिलेश जायसवाल का बेटा मनीष यूक्रेन के ओडिसा में रहकर पढ़ाई करता है। वह MBBS थर्ड ईयर का स्टूडेंट है। मनीष को 5 मार्च को देश लौटना था। प्लेन का टिकट भी हो चुका था। इसी बीच रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। अखिलेश का कहना है, कल 2 से 3 बार मनीष से बातचीत की। बिगड़े हालात के चलते वह परेशान है। मनीष ने बताया- यूक्रेन में आसपास बम फट रहे हैं। हम लोग कमरे में ही पैक हैं। बस कुछ दिनों का राशन-पानी उनके पास बचा है। मन में एक डर बैठ गया है।

बलिया के स्वास्थ्य विभाग में तैनात देवरिया के रामपुर कारखाना निवासी सुरेंद्र यादव का बेटा प्रणवनाथ भी यूक्रेन में MBBS फोर्थ ईयर की पढ़ाई कर रहा है। वह यूक्रेन की राजधानी कीव से करीब 400 किमी दूर डेवेन पैट्री में रहता है। रूस द्वारा हमला करने की जानकारी होने के बाद सुरेंद्र यादव का परिवार काफी परेशान है। जिस शहर में प्रणवनाथ है, वहां पर शांति है, लेकिन वहां से 200 किमी की दूरी पर स्थित खार्कीव शहर में बमबारी हो रही है। दिसंबर में प्रणव घर आया था। परिवार में शादी समारोह में शामिल होने के बाद 3 जनवरी को यूक्रेन गया था।

 

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