मुजफ्फरपुर में सरकार के आदेश के बाद शिक्षकों में डर
शिक्षकों ने कहा- शराब माफियाओं से जान का खतरा, हम शिक्षक हैं, शिक्षा कर्मी बना दिया
बिहार सरकार के नए आदेश पर शिक्षकों के बीच असमंजस और डर की स्थिति बनी हुई है। दरअसल अब शिक्षकों को भी शराबबंदी सफल बनाने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। उन्हें भी शराब धंधे और माफियाओं से सम्बंध में सूचना देने को कहा गया है। इसके लिए एक नम्बर भी जारी किया गया है। इस नए आदेश के जारी होने के साथ ही शिक्षकों के बीच भुचाल मचा हुआ है। जगह-जगह विरोध भी होने लगा है। ऐसे में मुजफ्फरपुर के शिक्षकों से जब हमने बात की तो उन्होंने जो प्रतिक्रिया दी। वह निश्चित ही उनकी अंदरूनी भावना को दर्शाता है।
पुलिस वाले सुरक्षित नहीं, तो हमारी रक्षा कौन करेगा
जिला स्कूल के प्लस 2 शिक्षक जीबू कुमार झा कहते हैं कि जब पुलिस और उत्पाद विभाग की टीम पर शराब माफिया हमला कर देते हैं। जबकि उनके पास तो संपूर्ण व्यवस्था है उनसे भिड़ने के लिए। ऐसे में हम कितने सुरक्षित हो सकते हैं। यह समझा जा सकता है। शराब माफियाओं के खिलाफ सूचना देने से जान का खतरा बना रहेगा। हमारी और हमारे परिवार की सुरक्षा कौन करेगा। हमारी सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि हर जगह शराब मिल रही है। होम डिलीवरी तक अवेलेबल है। पुलिस-प्रशासन और उत्पाद विभाग की टीम फेल हो गयी है। इसलिय हमे ये जिम्मेवारी दी गयी है। हम शिक्षक हैं और हमें इस आदेश से मुक्त रखा जाए।
शिक्षा कर्मी बना दिया गया
शिक्षक कृष्ण मोहन ने बताया कि हम शिक्षक हैं। लेकिन, हमे अब शिक्षा कर्मी बना दिया गया है। कहा कि अभी तो लॉकडाउन है। सरकार देख रही है कि बच्चे तो स्कूल आ नहीं रहे हैं। ऐसे में शिक्षक क्या करेंगे। तो हमें नई जिम्मेवारी सौंप दी गयी। हम लोग इस नए आदेश का समर्थन नहीं करते हैं। हमारी बस ये मांग है कि हम शिक्षक हैं और हमे शिक्षक ही रहने दिया जाए। वहीं शिक्षक संजीव कुमार ने कहा कि सरकार का आदेश सर आंखों पर। लेकिन, ये हमारी जिम्मेवारी नहीं है। जिनका काम है उन्हीं को करने दिया जाना चाहिये। हम पढ़ाते हैं और हमे पढाई लिखाई के कार्य ही दिए जाने चाहिए। इस आदेश से हमे मुक्त कर दिया जाए।
तुगलकी फरमान है, वापस लें
शिक्षक रणधीर सिंह और मनोज सिंह ने बताया कि हम लोगों ने आदेश की प्रतियां जलाकर इसका विरोध जता दिया है। ये तुगलकी फरमान है। ये हमारा काम नहीं है। ऐसे में तो हम शिक्षक सीधे-सीधे शराब माफियाओं के निशाने पर आ जाएंगे। जब भी शराब पकड़ी जाएगी तो संभव है कि कोई दुश्मनी से हमारा नाम शराब माफियाओं को बता दे। इसके बाद क्या होता है। ये सब को पता है। हमारे में इतनी शक्ति नहीं है कि हम शराब धंधेबाजों से भीड़ सकें। इसलिए अविलंब इस आदेश को सरकार वापस ले।