मुजफ्फरपुर में स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट, सदर अस्पताल में हाजिरी 32 की, काम कर रहे केवल 10 डाक्टर
शेष डाक्टर कहां चले गए इसके बारे में अस्पताल प्रबंधन के पास से कोई भी जानकारी नहीं मिली। सदर अस्पताल में रात की पाली में महिला चिकित्सक का होता रहा इंतजार नर्स ने कराया प्रसव। महिला चिकित्सक नहीं रहने से आधा दर्जन प्रसूता निजी अस्पताल गईं।
मुजफ्फरपुर,। मिशन 60 के बाद भी सदर अस्पताल की व्यवस्था बेपटरी ही है। दो दिन पहले गर्भस्थ शिशु की मौत के बाद यहां प्रसव के लिए आईं गर्भवती भय की साये में इलाज करा रही हैं। प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत, जिलाधिकारी प्रणव कुमार, कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने भी नवंबर में निरीक्षण कर कई निर्देश दिए थे। सभी आदेश हवा में ही तैर रहे हैं। हकीकत में सबकुछ पहले जैसा ही चल रहा है। उपाधीक्षक डा.एनके चौधरी ने बताया कि 32 चिकित्सकों की हाजिरी बनी है। इमरजेंसी, मेडिकल, हड्डी, ईएनटी, आयुष, शिशु, महिला, मानसिक रोग विभाग, पैथोलाजी, एनसीडी सेल में ही चिकित्सक अपने कर्तव्य निभाते दिखाई दिए। शेष चिकित्सक कहां हैं, इसका जवाब उपाधीक्षक नहीं दे पाए। हां, इतना जरूर कहा कि अलग-अलग जगहों पर इमरजेंसी में सब हैं। कहां किस तरह की इमरजेंसी है यह भी नहीं बता पाए। वहीं जब पूछा गया 32 डाक्टर और भर्ती मरीज मात्र 24। क्या एक डाक्टर एक मरीज भी नहीं देख रहे। इस सवाल का भी वह जवाब नहीं दे पाए। कुछ इस तरह का ही हाल सदर अस्पताल का दिखाई दिया।
मरीज बेहाल, जवाबदेह कार्यालय पर लटका ताला
दैनिक जागरण की टोली मंगलवार को जब सदर अस्पताल पहुंची तो मरीज बेहाल दिखे। वहीं, जवाबदेह अधिकारियों के कार्यालय पर ताला लटका मिला। समय : दोपहर 12 बजे। स्थल : मातृ-शिशु सदन। यहां पताही मधुबनी की मीना देवी बहू को प्रसव के बाद डिस्चार्ज कराकर ले जाने के लिए चिकित्सक का इंतजार कर रही थीं। पूछने पर बोली, सर कोई इहां पर ठीक से बात करे वाला न हई। सोमवार को शाम में यहां आईं। मरीज प्रसव वेदना से परेशान थी। रात कट गई कोई डाक्टर नहीं आया। सिस्टर ने प्रसव कराया। मीना ने कहा कि रात में चार-पांच मरीज आए थे, लेकिन चिकित्सक के नहीं रहने से दूसरी जगह चले गए। वहीं बहू को लेकर आईं अनीता ने बताया कि सुबह की पाली में केवल एक डाक्टर आउटडोर में रहती हैं। सुरक्षाकर्मी ने बताया कि तीन प्रसूता भर्ती हैं। दो एएनएम देखरेख में हैं। महिला चिकित्सक नहीं आईं। सुमेरा से मरीज को लेकर पहुंचीं आशा विधा देवी ने बताया कि सुबह सात बजे कोई चिकित्सक नहीं था। नर्स ने प्रसव कराया। नौ बजे चिकित्सक को दिखाया है। वहीं, प्रबंधक और परामर्श केंद्र में ताला लटकता मिला। इसके साथ ही आउटडोर के विभागों में भी ताले लटक रहे थे।
अल्ट्रासाउंड के लिए मिला 15 दिन बाद का नंबर
मातृ-शिशु सदन स्थित अल्ट्रा साउंड सेंटर में आईं विनाता कुमारी ने बताया कि 15 दिन बाद जांच करने के लिए नंबर दिया गया है। वह बहू का प्रसव काल के दौरान अल्ट्रासाउंड कराने आई थीं।
बायोमीट्रिक के बदले रजिस्टर पर हाजिरी
सदर अस्पताल से लेकर पीएचसी स्तर पर चिकित्सक व कर्मियों की हाजिरी के लिए बायोमीट्रिक सिस्टम को अक्टूबर में लगा देना था। वह अब तक नहीं लगाया गया। इससे अभी रजिस्टर पर ही हाजिरी बन रही है। जब आए हाजिरी बना ली।
उपाधीक्षक को मौखिक जानकारी
सदर अस्पताल के प्रबंधक प्रवीण कुमार ने बताया कि वह आउटडोर व इंडोर को लेकर कोई कमी रहती है तो उसकी जानकारी उपाधीक्षक को मौखिक देते हैं। सिविल सर्जन को जानकारी नहीं देते हैं। सिविल सर्जन डा.यूसी शर्मा ने कहा कि सदर अस्पताल में जनरल इमरजेंसी की तरह महिला वार्ड के लिए तीन पाली में इमरजेंसी रहनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो रहा तो यह नियम के विरुद्ध है। इसके लिए जो जवाबदेह होंगे। उनकी पहचान कर कार्रवाई होगी। मुख्यालय तक रिपोर्ट जाएगी।
इन कुव्यवस्थाओं से मरीज का होता सामान
- – परिसर में धूल फांक रहीं एंबुलेंस, आटो से वापस जा रहीं प्रसूति
- – परिसर में चल रहा पुराना डिस्पले, मंगलवार को दिख रहा शनिवार का रोस्टर
- – आउटउोर व महिला वार्ड में बना पूछताछ सेंटर, वहां नहीं रहते कर्मी
- – साझा महिला सहायता केंद्र व प्रबंधक कार्यालय पर लटकता मिलता ताला, मरीज की शिकायत सुनने वाला कोई नहीं