भगवान महावीर की फोटो से शिक्षा मंत्री विवाद में:ट्रोलर ने कहा- बिहार के होकर भी शिक्षा मंत्री को भगवान बुद्ध और महावीर में अंतर नहीं पता!
बिहार के शिक्षा मंत्री विवादों में घिरे रहे हैं। रामचरित मानस पर दिए बयान वे चर्चा में रहे। अब महावीर जयंती के अवसर पर उन्होंने जो ट्वीट किया उससे चर्चा में हैं। रामनवमी के अवसर पर किया गया उनका ट्वीट काफी ट्रोल हुआ था अब वे भगवान महावीर जयंती पर किए गए ट्वीट की वजह से ट्रोल हो रहे हैं।
ट्रोल करने वाले ने लिखा यह भी नहीं पता !
प्रोफेसर चंद्रशेखर ने मंगलवार को ट्वीट कर लिखा-‘ समस्त प्रदेश एवं देशवासियों को भगवान महावीर जयंती की हार्दिक बधाई एवं ढ़ेरों शुभकामनाएं।’ यह लिखते हुए उन्होंने जो फोटो भगवान महावीर का लगाया वह शरीर पर चादर की वजह से भगवान महावीर नहीं बल्कि भगवान बुद्ध का लग रहा है। भगवान महावीर तो दिगंबर थे। यानी उन्होंने वस्त्र त्याग दिया था। इस ट्वीट पर कई लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
सजल ने लिखा है-‘ बिहार से होकर भी भगवान महावीर और भगवान बुद्ध का अंतर नहीं पता बेहद दुखद!’ संसार जैन ने लिखा- ‘जिस बिहार में भगवान महावीर का जन्म हुआ और मोक्ष हुआ, वहां के शिक्षा मंत्री महोदय को भगवान बुद्ध और भगवान महावीर में अंतर नहीं पता, श्रीमान कृपया चित्र को सही करें।’ सोनू कुमार ने लिखा- ‘आपको शिक्षा मंत्री कौन बना दिया, जिस शिक्षा मंत्री को ये पता नहीं कि भगवान महावीर जयंती है कि भगवान बुद्ध है अब ऊपरवाला ही बचा सकता है बिहार की शिक्षा को।’
वस्त्र के साथ महावीर ?
भगवान महावीर की मूर्ति पर रूद्राक्ष आदि भी नहीं दिखते। लेकिन शिक्षा मंत्री जो फोटो महावीर जयंती पर ट्वीट किया है उसमें हाथों में रुद्राक्ष या कोई आभूषण दिख रहा है। गौर से आप देखें तो एक निशान बुद्ध से अलग है और बताता है कि ये महावीर हो सकते हैं! वह निशान छाती पर है।
महावीर की छाती पर श्रीवत्स का अंकन पाया जाता है। यह शुरुआत कुछ मूर्तियों को छोड़ दें तो आपको दिखेगा। लेकिन बुद्ध के शरीर पर कपड़ा नहीं देखा जाता ! इसलिए कुल मिलाकर यह फोटो विवादास्पद है! महावीर जयंती के अवसर पर बुद्ध और महावीर दोनों की मिश्रित फोटो लगाना भी भ्रम फैलाने जैसा है। यह इतिहास के साथ खिलवाड़ की तरह है!
रामनवमी पर भी खूब ट्रोल हुए थे
बता दें कि शिक्षा मंत्री के एक ट्वीट पर पांच दिन पहले बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद ने सवाल उठाया था। कहा था कि ‘शिक्षामंत्री जी तेल चित्र नहीं तैल चित्र होता है। श्रीमान चंद्रशेखर जी शिक्षा विभाग का तेल मत निकालिए।’ शिक्षा मंत्री का वह ट्वीट अब नहीं दिख रहा। रामनवमी के अवसर पर जब शिक्षा मंत्री ने ट्वीट कर लोगों को रामनवमी की शुभकामनाएं दी थी। तब भी लोगों ने उनसे ट्वीटर पर ही खूब सवाल दागा था।
वजह यह थी कि उन्होंने जनवरी माह में नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15 वें दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा था कि ‘ मनुस्मृति में समाज की 85 फीसदी आबादी वाले बड़े तबके के खिलाफ गालियां दी गईं। रामचरितमानस के उत्तर कांड में लिखा है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करने के बाद सांप की तरह जहरीले हो जाते हैं। ये नफरत को बोने वाले ग्रंथ हैं। एक युग में मनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरितमानस, तीसरे युग में गुरु गोलवलकर का बंच ऑफ थॉट, ये सभी देश व समाज को नफरत में बांटते हैं।
नफरत देश को कभी महान नहीं बनाएगी, देश को महान केवल मोहब्बत बनाएगी।’ इस बयान पर विवाद होने के बाद प्रोफेसर चंद्रशेखर ने अपने बयान को सही भी ठहराया था। कहा- ‘राम और रामचरितमानस, दोनों में जमीन-आसमान का अंतर है। मैं उस श्रीराम की पूजा करता हूं, जो माता शबरी के जूठे बेर खाते हैं, जो मां अहिल्या के मुक्तिदाता हैं।
जो जीवन भर नाविक केवट के ऋणी रहते हैं। जिनकी सेना में हाशिए से आने वाले वन्य प्राणी वर्ग सर्वोच्च स्थान पर रहते हैं, मैं उस रामचरितमानस का विरोध करता हूं, जो हमें यह कहता है कि जाति-विशेष को छोड़ कर बाकी सभी नीच हैं। जो हमें शूद्र और नारियों को ढोलक के समान पीट-पीट कर साधने की शिक्षा देता है। जो हमें गुणविहीन विप्र की पूजा करने और गुणवान दलित, शूद्र को नीच समझ दुत्कारने की शिक्षा देता है।’
सातवें चरण का शिक्षक नियोजन कब शुरू होगा पूछे रहे युवा
भगवान महावीर के ट्वीट पर युवा शिक्षा मंत्री से यह भी पूछ रहे हैं कि सातवें चरण का शिक्षक नियोजन कब शुरू होगा? अनिल कुमार सिंह ने तो लिखा है- हे प्रभु हमारे शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री जी को सदबुद्धि दीजिए कि हमलोगों का प्राथमिक विज्ञप्ति दे दें- बिहार शिक्षक बहाली। उमर अंसारी ने लिखा है- आप की कार्यशाली से हम बहुत खुश हैं, आपने इतनी तत्परता बिल्कुल 5 जी की रफ्तार से काम किया कि फरवरी तो छोड़िए मार्च भी खत्म, अब अप्रैल चल रहा है, ना ही नियमावली और न ही शिक्षक भर्ती की कोई बात। वाह मंत्री जी!