300 करोड़ की लागत से बन रही फिल्म ‘शक्तिमान’:महाभारत के भीष्म पितामह मुकेश खन्ना पहुंचे पटना, बोले- मुझे बिहार की सिटीजनशिप दे दो

mukesh khanna

300 करोड़ की लागत से बन रही फिल्म ‘शक्तिमान’:महाभारत के भीष्म पितामह मुकेश खन्ना पहुंचे पटना, बोले- मुझे बिहार की सिटीजनशिप दे दो

महाभारत के भीष्म पितामह’ और बच्चों के चहेते शक्तिमान (मुकेश खन्ना) पटना पहुंचे। वे बरबीघा में एक स्कूल के फंक्शन को अटेंड करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। उन्होंने बिहार से अपने लगाव के बारे में बताया।

उन्होंने अपने अपकमिंग मूवी के बारे में जानकारी दी। मुकेश खन्ना ने बताया ‘शक्तिमान’ मूवी 300 करोड़ की लागत से बन रही है। इसे रीलीज होने में अभी वक्त लग सकता है। वहीं अश्लील वेब सीरीज पर वे जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि मेरा बस चले तो मैं मोबाइल बैन कर दूं।

अब पढ़िए बातचीत के मुख्य अंश…

इतने सालों बाद आप बिहार आए है, कैसा लग रहा है?

कोविड के पहले एक ऐसा दौर था जब मैं हर 2 या 3 महीने में बिहार आया करता था। मैंने पूरा बिहार घुमा है और एक बार तो मैंने यह भी बोला था कि आप मुझे यहां की सिटीजनशिप दे दो। बिहार मेरे लिए नई चीज नहीं है बिहार को मैंने उठते भी देखा है और गिरते भी देखा है। आज बिहार कुछ और है और उस जमाने में कुछ और ही था।

मुकेश खन्ना बोले- बिहार में पहले से बेहतर सड़क देखने को मिल रहा, ये अच्छा साइन है।
मुकेश खन्ना बोले- बिहार में पहले से बेहतर सड़क देखने को मिल रहा, ये अच्छा साइन है।

क्या कुछ बदलाव आपको इतने सालों में बिहार में देखने को मिल रहा है?

बिहार में पहले से बेहतर सड़क देखने को मिल रहा है। एयरपोर्ट से गांधी मैदान में सिर्फ 15 मिनट में पहुंच गया। यह एक बहुत अच्छा साइन है।

बिहार आने के पीछे क्या उद्देश्य है?

शक्तिमान को लगभग 30 साल हो गए हैं लेकिन आज भी मुझे उसी कारण से हर जगह बुलाया जाता है। बिहार के बरबीघा में एक स्कूल के फंक्शन को अटेंड करने आया हूं।

शक्तिमान की बात करें तो अब यह भोजपुरी में भी दिखाया गया इस पर आपका क्या कहना है?

अगर भोजपुरी की बात करें तो मैंने मनोज तिवारी के साथ भोजपुरी की एक फिल्म में काम किया है। उस दौरान मनोज तिवारी अक्सर कहा करते थे कि आप शक्तिमान को भी भोजपुरी में बनाइए तो उस वक्त मैंने कहा था कि शक्तिमान को भोजपुरी में बनाना चाहिए। तब शक्तिमान को भोजपुरी में दिखाया गया।

क्या शक्तिमान पर कोई फिल्म भी बनाई जा रही है?

लोगों के दिमाग पर हमने शक्तिमान बनाना शुरू किया था लेकिन कोविड के वजह से इसे रोक दिया गया। अब शक्तिमान के साथ ही मेरी तीन फिल्में भी जल्द ही देखने को मिलेगी। सोनी चैनल इसे मेरे साथ मिलकर बना रहा है। इस फिल्म को बनाने के लिए करीब 300 करोड़ लागत लगेगी और साथ ही यह बहुत बड़े स्तर पर रिलीज होगी। इसलिए इसमें थोड़ा वक्त लग रहा है।

पहले के बच्चे शक्तिमान जैसी सीरियल देखते थे, लेकिन आज जिस तरीके से फिल्मों में या वेब सीरीज में अश्लीलता दिखाई जा रही है इसको आप कैसे देखते हैं? क्या इससे आज के युवा पीढ़ी पर असर पड़ रहा है?

आपने तो मेरी दुखती नस पर हाथ डाल दिया। आजकल जो यह नया प्लेटफार्म खड़ा हुआ है जिसका नाम है ‘ओटीटी’ यह ओटीटी बनाम अश्लीलता है। इन्हें पता नहीं है कि क्या दिखाना चाहिए ये कुछ भी दिखा देते हैं। अगर बात करें बच्चों की तो यह बात मैंने कई बार उठाई है कि बच्चों के लिए भी फिल्में बननी चाहिए। बच्चें वही फिल्म देखना चाहते हैं जो खासतौर पर उनके लिए बनाई गई हो। लेकिन आजकल बच्चें ‘हम तुम्हें इतने छेद करेंगे’ जैसे डायलॉग्स वाली फिल्में देखते है।

मैं हमेशा कहता हूं कि हर प्रोड्यूसर को पांचवी फिल्म के बाद छठी फिल्म बच्चों के लिए बनाने चाहिए। अगर एक शक्तिमान बच्चों को दूध पीना सिखा सकता है तो 10 चिल्ड्रेन फिल्में बच्चों के लिए क्या नहीं कर सकती है? हमारे बच्चे देश के भविष्य है। मोदी जी अक्सर कहते हैं कि 25 साल बाद हमारे देश में सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी होंगे। मेरा यह सवाल पूछने का दिल करता है कि वह युवा युवा कितने होंगे?

25 साल बाद सिर्फ युवा हो जाने से कुछ नहीं होगा। इस बात पर ध्यान देना होगा कि बच्चा सिख रहा है या नहीं। आजकल के बच्चे मोबाइल से सीख रहे हैं पूरा एजुकेशन सिस्टम ही बदल गया है। बिहार के नालंदा में जहां पूरे दुनिया से बच्चे पढ़ने आते थे आज यहां की स्थिति पूरी तरीके से बदल गई है। एजुकेशन सिस्टम को बदलना पड़ेगा। बच्चों को पढ़ाई में देश की परंपरा के साथ सही बातें दिखाने पड़ेगी नहीं तो हमारे यहां के बच्चे विदेशी बन जाएंगे।

क्या आपके अनुसार मोबाइल फोन बच्चों के लिए सही नहीं है?

मैं तो कहता हूं कि मोबाइल फोन को बैन कर देना चाहिए। यह बस कहने के लिए हो गया है कि हम बहुत प्रोग्रेस कर गए हैं लेकिन हम जितना ही प्रोग्रेस कर रहे हैं बच्चें हमसे उतना दूर होते जा रहे हैं। आजकल के बच्चे फोन लेकर दिनभर बाहर घूमते रहते हैं और फिल्में देखते हैं और मां बाप, दादा दादी सब को भूल जाते है।

मोबाइल एक ऐसी चीज है जिसने पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया है लेकिन यह सिर्फ सुनने और बात करने के लिए है। लेकिन इसका कई तरीके से दुरुपयोग हो रहा है। मैं बच्चों को कहूंगा कि फोन को अपने शरीर का हिस्सा मत बनाओ आप उसको लेकर घूमो लेकिन कोशिश करो कि दिन भर में कम से कम सोशल मीडिया पर समय बिता सको। अगर हम उठते ही सोशल मीडिया पर एक्टिव हो जाते हैं तो ऐसे में हम वर्चुअल दुनिया में चले जाएंगे जो हमारा नहीं है।

फिल्मों की अगर बात करें तो कोई ऐसी फिल्म या कोई किरदार जो आपके दिल के सबसे करीब रहा है?
मैं बहुत चूजी आदमी हूं। मैंने अब तक सिर्फ 60 फिल्में ही की है और जितनी भी फिल्में की है वह बहुत सोच-समझकर की है। लेकिन अगर पसंदीदा फिल्म की बात करें तो ‘सौगंध’ और ‘तहलका’ मेरे दिल के सबसे करीब है। कई लोग मुझसे पूछते हैं कि आप जैसा कोई क्यों नहीं है इसलिए नहीं है क्योंकि मैं पार्टीज में नहीं जाता या काम किसी से मांगता नहीं हूं।

काम करने के लिए मेरी अपने कुछ शर्ते हैं जैसे कि मैं फिल्मों में दाढ़ी नहीं रख सकता साथ ही विलेन का रोल या रोमांटिक सीन नहीं कर सकता हूं। इन सभी शर्तों के साथ अगर कोई मुझे काम ऑफर करेगा तो मैं जरूर करूंगा।

क्या हाल में आपकी कोई फिल्म आने वाली है?

मैं एक फिल्म में काम करने वाला हूं, जिसका नाम है ‘आई एम इमोर्टल’। यह फिल्म मेरे दिल के काफी करीब है। यह फिल्म एलोपैथिक वर्सेस आयुर्वेदिक है। आयुर्वेदिक जिस तरीके से हमारे देश का नॉलेजेबल था वह बिखर गया है इसलिए यह फिल्म आयुर्वेद पर बन रही है।

नेपोटिज्म पर आप हमेशा बात करते हैं क्या बॉलीवुड में नेपोटिज्म ने अपना कब्जा बना कर रखा है? इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?

यह नेपोटिज्म की बात सुशांत सिंह राजपूत के मौत के बाद से शुरू हुई है। हालांकि यह आज तक मालूम नहीं हुआ कि सुशांत ने सुसाइड किया या उनका मर्डर हुआ। नेपोटिज्म तो राजाओं के समय से चला रहा है लेकिन कोई भी इंसान ऐसा नहीं कर सकता कि वह अपने बच्चे को आगे करें और बाकियों को पीछे कर दे। इंडस्ट्री में बीच में या नेपोटिज्म नाम की गंदगी आई थी लेकिन इंडस्ट्री किसी के बाप की नहीं है बल्कि इंडस्ट्री में भी प्रोड्यूसर बदलते रहेंगे।

आपने महाभारत में भीष्म पितामह का रोल निभाया और शादी नहीं करने का प्रण लिया। आपने रियल लाइफ में भी शादी नहीं की इसके पीछे कोई खास वजह?

मैं समझता हूं कि यह बस एक संयोग है और कुछ नहीं कहूंगा। मैरिज इंस्टिट्यूट का मैं जितना तरफदार हूं उतना कोई नहीं होगा लेकिन अगर शादी होनी होती है तो हो जाती है। मैं इसके खिलाफ नहीं हूं लेकिन मैं अकेला अपने काम के साथ बहुत खुश हूं।

फिल्म पठान में जिस तरीके से दीपिका पादुकोण के कपड़ों को लेकर विवाद उठा था, इसको आप कैसे देखते हैं?

मैंने पहले भी कहा है कि यह बिल्कुल अश्लील है। बाकी लोगों को गेरुआ रंग से परेशानी हुई। हिंदू वर्ग का पूरा ध्यान गेरुआ पर चला गया लेकिन मुझे इन सबके बीच अश्लीलता दिखी। इतनी अश्लीलता मैंने आज तक किसी गाने में नहीं देखी कि आप हीरोइन के अलावा सब को बिकनी पहना कर डांस करा रहे हैं। फिल्म में इस गाने को डालने के पीछे कोई मंशा नहीं होगी क्योंकि हमारे यहां कॉन्ट्रोवर्सी क्रिएट करने से फिल्में हिट हो जाती है।

मैंने कहा था कि इस गाने को बैन कर देना चाहिए। इस पर कई तरह की बातें हुई, शाहरुख ने भी अपने तरफ से बहुत कुछ बोला लेकिन हम लोग मूर्ख बन जाते हैं जो गलतियां निकालते हैं उल्टा इससे उन्हें करोड़ों की पब्लिसिटी मिल जाती है। कभी कभी मुझे ऐसा लगता है कि पब्लिसिटी के चक्कर में यह लोग जानबूझकर हिंदू धर्म की मजाक बनाने की कोशिश करते हैं। यह सब सिर्फ एक स्टंट है जिसे रोकना चाहिए।

बिहार के दर्शकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

मैं तो उस टाइम बिहार आया था जब लालू की सरकार थी तब यहां की सड़कों पर मेरी गाड़ी नहीं चल पाती थी लेकिन लालू यादव कहते थे कि बिहार के स्तर के हेमा मालिनी के गाल जैसी है। बिहार एक ऐसा जगह है जहां पर हर घर में हर टेबल पर पॉलिटिक्स डिसकस होती है। बिहार के लोगों में पोटेंशियल बहुत है लेकिन बिहार को संभालना हमारे देश के लिए बहुत जरूरी है।

यहां के लोगों को पॉलिटिकल के अलावा भी और भी चीजों पर ध्यान देना चाहिए। यहां के लोग बाहर जाकर काम करते हैं क्योंकि उनके पास यहां काम करने के लिए नहीं है। बिहार के लोगों को मैं यही कहना चाहूंगा कि आप लोग ऐसा माहौल बनाइए ऐसी सरकार को लाइए जो आपको काम करने दे। ताकि यहां के लोगों को बाहर जाकर मजबूरन काम न करना पड़े।

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