Sanskarshala: साथी अगर सच्चा हो तो मुश्किल समय भी आसान हो जाता

Sanskarshala: साथी अगर सच्चा हो तो मुश्किल समय भी आसान हो जाता

Sanskarshala: साथी अगर सच्चा हो तो मुश्किल समय भी आसान हो जाता

इंटरनेट मीडिया की लत में साथियों की भूमिका अहम हो सकती है। जब लगे कि साथी आपको गलत रास्ते ही ओर खींच रहे हैं या इंटरनेट मीडिया के नकारात्मक पहलूओं की ओर ध्यान आकृष्ट करा रहे हैं तो इससे अपने बड़ों व माता पिता से जरूर शेयर करें।

छात्रा सिट्टी राज कहती हैं कि साथी अगर सही हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किल को भी आसान किया जा सकता है। बचपन में हमसे अपने घर में यदि कोई अवांछित हरकतें होतीं तो हमें कोसने के साथ-साथ हमारी संगति का भी बखान किया जाता रहा है। गुस्से में स्वजन कहा करते हैं कि इसकी संगति ही खराब है। तब से ही ये बात दिमाग में घर कर गई थी कि संगति का हमारे जीवन पर बड़ा गहरा असर पड़ता है। अब यह आपके हाथ में होता है कि हम जान बूझ कर साथियों के दबाव को अपने उपर हावी होने दें या अपने विवेक का उपयोग कर उसे अपने मनमाफिक उपयोग करें। खासकर इंटरनेट मीडिया की लत में साथियों की भूमिका अहम हो सकती है। जब लगे कि साथी आपको गलत रास्ते ही ओर खींच रहे हैं या इंटरनेट मीडिया के नकारात्मक पहलूओं की ओर ध्यान आकृष्ट करा रहे हैं तो इससे अपने बड़ों व माता पिता से जरूर शेयर करें।

साथियों के दबाव से परहेज

छात्रा तन्नु प्रिया ने कहा कि वर्तमान युग इंटरनेट मीडिया का है। यह एक ऐसा माध्यम है जिससे लोग विभिन्न प्रकार की जानकारियों को साझा करते हैं। ये लोगों के बातचीत व मनोरंजन का प्रमुख साधन भी बन गया है। शिक्षा और व्यवसाय के क्षेत्र में भी इसका गहरा प्रभाव दिख रहा है। समाज के हर वर्ग के लोग इस प्लेटफार्म का उपयोग कर रहे हैं। शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण इलाका, लोग घंटों इसपर अपना समय व्यतीत करते दिखते हैं। ऐसे में इस प्लेटफार्म को चुनने और उपयोग करने में साथियों की भी भूमिका अहम हो जाती है। इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव, भ्रामक जानकारियों को बढ़ा चढ़ा कर बता हमारे साथी भी हमें भटकाव की ओर ले जाते हैं। इससे समय की बर्बादी, इंटरनेट मीडिया के लत से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव होता है। ऐसे में हमें इंटरनेट मीडिया के उपयोग के दौरान साथियों के दबाव से दूर रहना चाहिए। अपने विवेक से साथियों के दवाब से निकलना चाहिए।

इंटरनेट मीडिया पर बना रहे पहचान

छात्र दीपक कुमार का मानना है कि डिजिटल दुनिया में इंटरनेट मीडिया पर सभी लोग अपना पहचान बनाना चाह रहे हैं। लाइक्स और फालोअर्स लोगों का स्टेटस का परिचायक बन गया है। इस प्लेटफार्म पर लोग साथियों की देखा-देखी अपने निजी जीवन से जुड़ी बातों को भी धड़ल्ले से साझा करते हैं और कई बार इसका नकारात्मक असर भी देखने को मिलता है। साथियों की तुलना में जब हमें इस प्लेटफार्म पर तवज्जो नहीं मिलती है तो दुख और निराशा का भाव उत्पन्न होने लगता है। हमें ऐसे साथियों के विचार से दबाव सा महसूस करने लगता है। ऐसे साथियों की संगति से परहेज करना चाहिए। इंटरनेट मीडिया पर अपने साथियों के दबाव से बचकर अपनी ऊर्जा को सही दिशा में उपयोग करने की जरूरत है। साथियों की देखा-देखी इंटरनेट मीडिया पर बिना सोचे-समझे कुछ भी गतिविधि करने से पहले विचार जरूर करना चाहिए। साथियों की संगति और दबाव में बिना सोचे समझे पहल करना भारी भी हो सकता है।

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