डीएम के बाद एसडीओ पूर्वी ने पटाखों की बिक्री पर रोक के लिए जारी किया आदेश। छाता बाजार मंडी से लेकर शहर की सभी सड़क किनारे खुलेआम बिक रहे पटाखे। एसडीओ पूर्वी ने सभी थानाध्यक्षों को एक-एक पुलिस पदाधिकारी को प्रतिनियुक्त करने को कहा है।
बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश पर मुजफ्फरपुर शहरी क्षेत्र में पटाखों की बिक्री एवं उपयोग पर रोक लगाने को लेकर लगातार आदेश जारी हो रहे। इसका असर नहीं हो रहा। छाता बाजार मंडी के अलावा शहर में सभी सड़कों के किनारे पटाखे खुलेआम बिक रहे। गुरुवार को डीएम प्रणव कुमार ने इस संबंध में आदेश जारी किया था। इसके बाद भी इसकी बिक्री नहीं रुकी। डीएम के बाद एसडीओ पूर्वी ज्ञान प्रकाश ने भी शनिवार को आदेश जारी किया। इसमें शहरी क्षेत्र के सभी थानाध्यक्षों एवं मुशहरी सीओ को पटाखों की बिक्री पर रोक के प्रदूषण बोर्ड के आदेश का पालन करने को कहा गया है। इस आदेश का भी कोई असर नहीं दिखा। एसडीओ पूर्वी ने सभी थानाध्यक्षों को एक-एक पुलिस पदाधिकारी को प्रतिनियुक्त करने को कहा है। मुशहरी सीओ को भी एक-एक हलका कर्मचारी को तैनात करने को कहा है, ताकि आदेश का पालन हो।
कबाड़ का भी बड़ा कारोबार
दीपावली में इस बार शहर और ग्रामीण क्षेत्र में वर्षा का जलजमाव नहीं होने से कबाड़ का बड़ा व्यापार हुआ। पिछले साल की तुलना में इस बार कबाड़ का दाम घटने से थोड़ा असर पड़ा, लेकिन व्यापार अच्छा हुआ है। मुहल्ले में कबाड़ लेने के लिए पिछले कई दिनों से लोगों के घरों के आसपास ठेले वाले घूमते दिखाई दे रहे थे। यहां का कबाड़ दिल्ली से लेकर छत्तीसगढ़ तक भेजा गया। दीपावली में सोना, चांदी, बर्तन और गाडियों सहित अन्य सामान बेच कर जहां कारोबारी मालामाल होते हैं। मुहल्ले, गैरेज वाले, वाहनकर्मी गाड़ियों के कबाड़ की भी बिक्री हुई। इस बार करीब 30 करोड़ रुपये के व्यापार का अनुमान है। धनतेरस और दिवाली को लेकर पिछले दस दिनों में शहर के लोग पांच करोड़ से ज्यादा का कबाड़ अपनी घरों से सफाई के दौरान कबाडियों के हाथों बेच दिए। दीपावली के दस दिन पहले से ही लोग अपनी घरों की सफाई शुरू कर देते हैं। सफाई में लोहा, प्लास्टिक, पेपर सहित अन्य सामान लोग कबाड़ियों के हाथों बेच देते हैं। मुहल्ले से कबाड़ खरीद रहे एक ठेला वेंडर सन्नी ने बताया कि लाकडाउन के पहले त्योहार के इस मौसम में एक दिन में दस से 15 हजार रुपये कमा लेते थे। कोरोना खत्म होने के बाद उम्मीद तो उससे अधिक कमाने की थी, लेकिन भाव कम होने के कारण अधिक कमाई नहीं हुई। कबाड़ के थोक व्यापारी विक्की कुमार ने बताया कि इस बार जिले में 30 प्रतिशत दुकानों की वृद्धि हुई है।
चांदनी चौक कबाड़ियों की सबसे बड़ी मंडी
जिले में करीब 500 कबाड़ की दुकानें हैं। शहर में ही करीब 200 कबाड़ी दुकानें हैं। शहर की चांदनी चौक यहां से सबसे बड़ा कबाड़ की मंडी है। वहां ट्रक से लेकर कार तक कबाड़ मंडी में बिक जाते हैं। सभी स्क्रैप को अलग कर विभिन्न शहरों में भेजा जाता है। कबाड़ व्यापारी अविनाश कुमार ने बताया कि एक दिन में एक लाख रुपये से अधिक का कबाड़ खरीद रहे हैं। छठ बाद यह व्यापार मंदा होता है। दीपावली के मौसम में दो दर्जन से अधिक दुकानें खुल जाती हैं और पैसे कमाकर छठ के बाद इस व्यापार को बंद कर देते हैं।
कबाड़ को भेजा जाता दिल्ली, छत्तीसगढ़ और पंजाब
अजय ने बताया कि एक व्यापारी 10 लाख से कम का कबाड़ नहीं खरीदता। पेपर, कापी, प्लास्टिक, लोहा आदि की छंटाई कर अलग-अलग प्रदेशों में भेजा जाता है। वहां के कबाड़ियों से फैक्ट्री वाले लेकर अलग-अलग सामग्री तैयार करते हैं। चांदनी चौक के एक कबाड़ी सुल्तान ने बताया कि इस बार व्यापार आधा हो गया है। रद्दी पेपर, कापी, किताब को उतराखंड, लोहा को पंजाब आदि मंडी और प्लास्टिक को दिल्ली के मंडियों में भेजते हैं। वहां से फैक्ट्री वाले ले जाते हैं। दिवाली में दस दिन का व्यापार होता है, इसके लिए मजदूर बुला लेते हैं। मजदूरों को गली मुहल्लों में कबाड़ खरीदने के लिए भेजा जाता है।