Muzaffarpur News : 30 लाख के लिए मामा ने भांजे को उठाया, 36 घंटे में पुलिस ने खोज निकाला
शुक्रवार शाम को अपहरणकर्ताओं ने राजीव को कॉल किया। गायघाट में फिरौती की रकम लेकर आने को कहा। लेकिन आठ बजे जब राजीव ने दोबारा उस नम्बर पर कॉल किया तो मोबाइल स्विच ऑफ था। फिर रात को कॉल कर छपरा आने को कहा। इसी दौरान पुलिस को अपहरणकर्ता का लोकेशन छपरा में मिला। वहां पहले से एक टीम मुस्तैद थी। SSP के निर्देश पर टीम ने छपरा रेलवे स्टेशन के समीप घेराबंदी कर ली। राजीव फिरौती के रकम में से 8 लाख रुपये लेकर वहां पहुंचे। जैसे ही अपहरणकर्ता रुपये लेने आया। विशेष टीम ने उसे दबोच लिया। उसकी निशानदेही पर बच्चे को वहीं से सकुशल बरामद किया गया। रैंसम मनी भी मिल गयी।
आरोपियों की पहचान सिवान जिले के लकड़ी नवीगंज के सरोज कुमार और गोपालगंज महुआ के रवि कुमार के रूप में हुई है। सरोज मुंहबोला मामा बताया गया है। पीड़ित राजीव ने बताया कि आरोपी सरोज उनके साला विजय का दोस्त है। पहले विजय के साथ वह घर पर अक्सर आता था। इससे पहचान हो गयी थी। 2018 में उनके साले विजय की मौत हो गयी थी। फिर भी सरोज कभी-कभी उनके घर आता जाता था। रॉकी से वह काफी घुल मिल गया था। वह उसे मामा बुलाता था। सरोज भी उसे सगे भांजे की तरह प्यार करता था। उसके लिए कभी चॉकलेट तो कभी गिफ्ट्स लेकर आता था। लेकिन क्या पता था कि उसकी नीयत में खोट है।
राजीव ने बताया कि 10 मई की शाम को सरोज ने रॉकी को कॉल कर बाहर दुकान पर आने को कहा। रॉकी जब वहां गया तो उसे घुमाने ले जाने की बात बोलकर गाड़ी में बैठा लिया और चला गया। जब रॉकी काफी देर घर नहीं पहुंचा तो वे लोग खोजबीन करने लगे। लेकिन, उसका पता नहीं लगा। रात को अहियापुर थाना में जाकर शिकायत की। इसके कुछ देर बाद कॉल आया कि रॉकी का किडनैप कर लिया गया है। फिरौती में 30 लाख रुपये की मांग की गई। यह सुनते ही राजीव समेत पूरा परिवार दहशत में आ गया।
राजीव एक जमीन की खरीद बिक्री कर रहे थे। यह करोड़ों का सौदा बताया जा रहा है। इसकी चर्चा उन्होंने सरोज से की थी। उसने इसी मौके का फायदा उठाया। उसे पता था कि राजीव के पास एक करोड़ रुपये हैं। उसने रॉकी का अपहरण किया और 30 लाख की फिरौती मांग ली। लेकिन राजीव ने बताया कि वह डील कैंसल हो गयी थी। बहुत मुश्किल से 8 लाख रुपये जुटा पाए। अपहरणकर्ता ने पुलिस पूछताछ में बताया कि अहियापुर से रॉकी को अगवा करने के बाद नेपाल बॉर्डर पार कर ले गया था। रॉकी को तबतक अंदाजा नहीं था कि उसका अपहरण हुआ है। वह मामा के साथ मजे लेकर घूम रहा था। करीब 24 घंटे से अधिक तक कभी नेपाल बॉर्डर के उस पार तो कभी इस पार कर रहा था। इसके बाद वहां से रैंसम मनी लेने के लिए गायघाट फिर छपरा पहुंचा। जहां पुलिस ने उसे दबोच लिया।
एसएसपी जयंत कांत ने बताया कि रुपये लेने के बाद भी ये लोग बच्चे की हत्या कर देते या गायब करने की फिराक में थे। अपहरणकर्ताओं ने कहा कि रॉकी ने उसे पहचान लिया था। अगर उसे छोड़ देते तो वह सबकुछ सच बता देता। वे दोनों पकड़े जाते। इसी बात को छुपाने के लिए रुपये लेने के बाद उसकी हत्या करने की प्लानिंग थी। SSP ने कहा कि टीम के सभी सदस्यों ने बेहतरीन कार्य किया है। इसके लिए सभी को सम्मानित किया जाएगा।