मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल सिविल में सीटें रिक्त:सूबे के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में 5242 सीटें खाली, 80% सीटें तीन कोर ब्रांच मैकेनिकल, सिविल और इलेक्ट्रिकल में खाली
सूबे के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों के सभी ब्रांचों को मिलाकर अब भी 5242 सीटें खाली रह गई हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें से भी 80 फीसदी सीटें इंजीनियरिंग के कोर ब्रांचों यानी सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल में खाली हैं। बीसीईसीई की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में मैकेनिकल में सबसे अधिक 1818 सीटें खाली हैं। इसके बाद इलेक्ट्रिकल में 1456 और सिविल में 961 सीटें रिक्त हैं। अधिकांश इंजीनियरिंग कॉलेजों में इन तीन कोर ब्रांचों की पढ़ाई होती है।
वहीं जहां-जहां इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन की पढ़ाई होती है, वहां 531 सीटें खाली हैं। यह स्थिति तब है, जब जेईई मेन के स्कोर के आधार पर कॉलेजों में नामांकन के लिए पहले दो राउंड की नामांकन प्रक्रिया पूरी हुई। उसके बाद खाली पड़ी सीटों पर नामांकन के लिए मॉप अप राउंड की काउंसिलिंग के आधार पर नामांकन प्रक्रिया कराई गई। बावजूद इसके अब भी काफी संख्या में सीटें खाली रह गई हैं। अब इन सीटों पर बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा 2022 के आधार पर तैयार हुई मेरिट लिस्ट के अनुसार कॉलेजों में नामांकन प्रक्रिया होगी। बुधवार से पहले राउंड की नामांकन प्रक्रिया होगी।
प्लस टू स्कूलों में जाकर देनी थी बीटेक की संभावना और अवसर की जानकारी
इंजीनियरिंग कॉलेजों के शिक्षकों के लिए यह अनिवार्य बनाया गया था कि वे प्लस टू स्कूलों में जाकर बीटेक कोर्स की संभावना और इसके अवसरों की जानकारी देंगे। बीटेक में होने वाले नामांकन की प्रक्रिया से लेकर उपलब्ध ब्रांच और सुविधा, शुल्क से लेकर रोजगार के अवसरों की जानकारी देनी थी लेकिन किसी भी जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज के शिक्षकों ने जागरूकता अभियान चलाया ही नहीं। वहीं शिक्षा विभाग ने उन्हें प्लस टू स्कूलों की लिस्ट भी नहीं दी।
कोटिवार खाली सीटों की संख्या
सामान्य 1723
एससी 1136
एसटी 80
ईबीसी 974
बीसी 547
आरसीजी 192
ईडब्ल्यूएस 590
एक्सपर्ट से समझिए आखिर क्यों घट रही मैकेनिकल जैसे इंजीनियरिंग के कोर ब्रांच में दाखिला लेने में स्टूडेंट्स की रुचि
सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में अभी मैकेनिकल में सबसे अधिक सीटें खाली हैं। एक्सपर्ट प्रो. आशीष कुमार की मानें तो मौजूदा वक्त में मैकेनिकल के लिए रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। इस कारण स्टूडेंट्स इसमें दाखिला लेने से बच रहे हैं। बिहार जैसे प्रदेश में मैकेनिकल के लिए वैकेंसी नहीं आ रही है। दूसरी ओर, नए ब्रांच जैसे कंप्यूटर साइंस, आईटी में रोजगार का बूम है। इस कारण इन सीटों पर दाखिले पहले हो जा रहे हैं। सरकारी कॉलेजों में नए ब्रांच को लेकर जागरूकता की जरूरत है।