हड़ताल:बैंक और डाक घरों में लटके रहे ताले 500 कराेड़ का कारोबार हुआ प्रभावित
एआईबीईए, एआईबीओए व बीईएफआई सहित विभिन्न ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मी सोमवार से दो दिवसीय हड़ताल पर चले गए। इसकी वजह से जिले भर के बैंकों व डाक घरों में ताले लटक गए। हालांकि एसबीआई व इलाहाबाद बैंक के कर्मी हड़ताल में नहीं थे। लेकिन हड़ताली अन्य बैंक कर्मियों ने एसबीआई के शाखाओं को भी कुछ देर के लिए बंद करा दिया।जिसकी वजह से यहां भी थोड़ी देर कामकाज ठप रहा। इधर मार्च महीने के अंतिम दिनों में बैंकों की इस हड़ताल से व्यापक असर पड़ा। बैंक कर्मी संघ के अध्यक्ष विनय कुमार द्विवेदी ने हड़ताल के दौरान बैंक कर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार की तानाशाही भरी नीतियां अर्थतंत्र को नष्ट करना चाहती हैं।सरकार की गलत नीतियों की वजह से हम उसी दिशा में जा रहे हैं।जो दशा आजादी से पहले बैंकिंग उद्योग की थी। साहूकार की बैंक होती थी। बाकी सब मजदूर रूपी बैंकर कहलाते थे। उनके आने का समय तो था पर जाने का कोई भी समय नहीं था। हमारे अधिकारों पर डाका डाला जा रहा है। सरकार इस प्रक्रिया मे देश की ट्रेड यूनियंस को सबसे बड़ी बाधक मानती है।
हड़ताली कर्मियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की
सभी हड़ताली कर्मी बैंक ऑफ बड़ौदा में इकट्ठा हुए तथा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। फिर बैंक कर्मियों का जत्था नारेबाजी करते हुए एसबीआई मेन ब्रांच पहुंचा और काम बंद करा कर सहयोग की अपील की। एसबीआई कर्मियों ने भी उनके समर्थन में काम बंद कर बैंक में ताले लगा दिए। विभिन्न मार्गों से होते हुए हड़ताली कर्मी सरकार के विरुद्ध नारे लगाते हुए एडीबी के साथ एसबीआई क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचे व समर्थन में बंद कराया। हड़ताली बैंक कर्मी बैंकों का निजीकरण बंद करने,कार्य दिवस पांच दिन करने,नई पेंशन योजना को हटा पुरानी पेंशन योजना लागू करने,एलआईसी व बैंकों के बीच महंगाई भत्ते में विसंगति दूर करने आदि की मांग कर रहे थे।
डाक घरों में भी लटके ताले, कामकाज ठप
दो दिवसीय हड़ताल में डाकघर भी शामिल रहे। इसकी वजह से जिले भर के डाकघरों में कामकाज ठप रहा। कर्मियों ने मांगों को ले आवाज बुलंद की।