मुजफ्फरपुर में 11 लाख 50 हजार के जाली नोट बरामद
नेपाल-बांग्लादेश से मुजफ्फरपुर पहुंचती थी नकली नोटों की खेप:
500, 200 और 100 के हैं नकली नोट, 11.5 लाख के जाली नोटों के साथ 4 गिरफ्तार
नेपाल और बांग्लादेश से उत्तर बिहार में नकली नोटों की खेप पहुंचाई जाती है। इसमें अंतर जिला गिरोह के तस्करों का बड़ा सिंडिकेट काम कर रहा है। इसका पर्दाफाश मुजफ्फरपुर पुलिस ने कर दिया है। 11.50 लाख रुपए के जाली नोटों के साथ 4 तस्करों को गिरफ्तार किया गया। इसमें अंतर जिला गिरोह के 3 तस्कर भी शामिल हैं। ये सभी असम के नंबर वाली कार से रुपए की खेप लेकर आ रहे थे। इसी दौरान SSP जयंतकांत को इसकी गुप्त सूचना मिली। उन्होंने सरैया SDOP राजेश शर्मा के नेतृत्व में विशेष टीम का गठन किया।
टीम ने मोतीपुर में बलमी चौक के पास वाहनों की जांच शुरू की। इसी दौरान असम के नंबर वाली कार को आती देख रोककर तलाशी ली गई। इसमें से 11.50 लाख रुपए के जाली नोट बरामद हुए। गिरफ्तार तस्करों की पहचान छपरा जिला के कोपा थाना के चौखरा गांव के नीरज सिंह, छपरा अमनौर के मदरौली निवासी राजू सिंह, छपरा अमनौर के फिरोजपुर निवासी आलोक भगत और मुजफ्फरपुर सरैया के बखरा निवासी मो. असलम के रूप में हुई। इन सभी से पूछताछ में अहम जानकारी टीम के हाथ लगी है। इसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
उत्तर बिहार में फैला है नेटवर्क
SSP ने बताया कि तस्करों से पूछताछ में पता लगा कि सिर्फ मुजफ्फरपुर ही नहीं बल्कि छपरा, वैशाली और मोतिहारी समेत कई जिलों में इस गिरोह का नेटवर्क सक्रिय है। नकली नोट का कारोबार नेपाल और बांग्लादेश में चलना बताया है। वहीं से बॉर्डर पार कर जाली नोट भारत पहुंचाते हैं। इसके बाद ये तस्कर इसे मार्केट में खपाते हैं।
नोटों के बंडल में खपाते थे जाली नोट
तस्करों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि असली नोटों के बंडल में छुपाकर आसानी से जाली नोटों को खपा लेते थे। छोटी जगहों पर तो कई बार इसी नोट से काम चलाते थे। दुकानदार आसानी से इसे पकड़ नहीं पाते थे। जब अधिक रुपए का काम होता था तब बंडल में इसे छुपाकर रख देते थे। जिससे आसानी से जाली नोट भी चल जाते थे। कभी भी वे लोग इसमें पकड़े नहीं गए थे।
दिखने में एकदम असली जैसे
ये जाली नोट 500, 200 और 100 रुपए के हैं। दिखने में एकदम असली प्रतीत हो रहे हैं। एक आम आदमी इसे देखकर या छूकर बिल्कुल भी अंदाज नहीं लगा सकता कि ये नकली नोट है। SSP ने कहा कि एक बार तो टीम भी चौंक गई थी। जब इसे छूकर देखा गया तो एकदम असल मालूम हुआ। लेकिन, जब RBI की गाइडलाइन के अनुसार इसकी जांच की गई तब जाली नोट होने का पता लगा। SSP ने बताया कि जाली नोट पता करने के 10-12 तरीके होते हैं। उन्हीं मानकों में से 3-4 तरीकों में ये नोट खड़ा नहीं उतरा। इसके बाद सख्ती से पूछताछ की गई। तब इन तस्करों ने स्वीकार किया कि ये जाली नोट हैं।
नोटबंदी के बाद पहली बड़ी कार्रवाई
SSP ने बताया कि नोटबंदी के बाद संभवत: नकली नोटों के खिलाफ ये सबसे बड़ी कार्रवाई है। इससे पूर्व गत साल अगस्त में 7.50 लाख रुपए के नकली नोट के साथ मोतीपुर से ही मुजफ्फरपुर पुलिस ने 7 तस्करों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उसी समय टीम के हाथ इस पूरे गिरोह के संबंध में अहम सुराग मिले थे। तब से लेकर आज तक टीम इस गिरोह के खिलाफ कार्रवाई करने में जुटी हुई थी। लेकिन, इनका नेटवर्क नहीं पता लग रहा था। वैज्ञानिक तरीके से भी 4 माह से लगातार अनुसंधान जारी था। इसी दौरान फिर से इसी गिरोह के तस्करों द्वारा नोट लाने की सूचना मिलने पर त्वरित कार्रवाई की गई।