बिहार में ग्रामीण इलाकों में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने सख्त रुख अख्तियार किया है। राज्य की पंचायतों के वैसे वार्ड, जहां पर वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समितियों के माध्यम से नल-जल निश्चय योजना क्रियान्वित हो रही है, वहां अगर पेयजल आपूर्ति बंद रही तो मुखिया और वार्ड सदस्य पर भी कार्रवाई होगी।
इस बाबत पंचायती राज विभाग ने सभी डीएम को पत्र लिखकर योजना की समीक्षा करने और दोषी मुखिया और वार्ड सदस्य पर कार्रवाई की अनुशंसा भेजने का निर्देश दिया है। पंचायती राज विभाग ने डीएम को लिखे पत्र में साफ किया है कि इस योजना का कार्यान्वयन मुखिया के द्वारा वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के माध्यम से कराया जा रहा है।
ग्राम पंचायत के मुखिया होने के नाते उन्हें उपलब्ध करायी गई सरकारी राशि का समुचित उपयोग सुनिश्चित करना, उनकी जिम्मेदारी है। उस राशि से सृजित की गई संपत्तियों से आमलोगों को लाभ मिलता रहे, यह सुनिश्चत करना भी उनकी जिम्मेदारी है। यदि वे इस पर ध्यान नहीं देते हैं, जिसके कारण पेयजल आपूर्ति बाधित हो रही है तो ऐसी स्थिति में उनपर धारा 18 (5) के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी। ऐसी लापरवाही उनके दायित्वों के निर्वहन में चूक की श्रेणी में आएगी। वहीं वार्ड सदस्यों पर कानूनी कार्रवाई भारतीय दंड विधान की संगत धाराओं के अंतर्गत होगी।
1.14 लाख वार्डों में योजना का क्रियान्वयन हो रहा..!!
वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति द्वारा राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के 58 हजार वार्डों में नल-जल योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। शेष करीब 56 हजार वार्डों में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा यह कार्य कराया जा रहा है।