बिहार में बह रही गंगा में मछलियों की सर्वाधिक प्रजातियां पटना में हैं। दूसरे व तीसरे स्थान पर भागलपुर और कहलगांव हैं। सबसे कम प्रजाति बक्सर में है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण की सर्वे रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है।
वाराणसी से फरक्का तक घोषित राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या -1 में मालवाहक जहाज चलाने के लिए यह सर्वे कराया था।
वाराणसी में 54 व गाजीपुर में 35, बिहार में पटना में 58, भागलपुर में 41, कहलगांव में 42 व बक्सर में 27, झारखंड के साहिबगंज में 45 व फरक्का में 62 किस्म की मछलियां पायी जाती हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगा में वाराणसी, गाजीपुर और बक्सर से बेहतर पानी भागलपुर में गंगा में बह रही है। पटना में गंगा की धरातल का तापमान सबसे कम है जहां पारा 28.6 डिग्री सेल्सियस है। गाजीपुर का सबसे ज्यादा 31.9 डिग्री औरा भागलपुर व कहलगांव में पारा 30 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा है।
भागलपुर दूसरे स्थान पर
● पटना में 58, भागलपुर में 41 व बक्सर में 27 किस्म की हैं मछलिया
● गंगा में वाराणसी, गाजीपुर व बक्सर से बेहतर पानी भागलपुरमें
● पटना में गंगा की धरातल का तापमान सबसे कम
गायब हो रही हिलसा
पटना में बह रही गंगा में कतला, रोहू, नैन, पड़लिन, मांगुर, मुंगेर में बुआरी, रीठा, टेंगरा, भागलपुर में बचवा, पफ्ता, सिंघी, गोर्रा, चंद्रकला, मिरका, ग्लासकप, बक्सर में बागड़, हील आदि लोकल किस्म की मछलियां अभी भी हैं। गंगा की प्रमुख मछली हिलसा बक्सर से लेकर कहलगांव तक से गायब है। यह आंशिक रूप से साहिबगंज व बड़ी संख्या में फरक्का बराज के पास पाई गई।
पटना व भागलपुर में गंगा की गहराई ज्यादा है। इस कारण यहां मछलियों की बहुलता है। डॉल्फिन सर्व रिपोर्ट में भी मछलियों की प्रजाति का जिक्र किया गया है। -डॉ. सुनील कुमार चौधरी
रिटायर्ड प्रोफेसर, टीएमबीयू
इलाहाबाद से फरक्का तक बहने वाली गंगा को कई जोन में बांटा गया है। वाराणसी से पटना तक अपर जोन कहलाता है। पटना से कहलगांव तक लोअर जोन है। इस जोन में पटना पहले व भागलपुर तीसरे पायदान पर है। जहां नदी की गहराई होगी और पानी मीठा होगा, वहां मछलियां ज्यादा होंगी। संभव है कि पटना व भागलपुर में मछलियां की बड़ी संख्या की वजह यह भी हो। -कृष्ण कन्हैया, जिला मत्स्य पदाधिकारी, भागलपुर