बीमा एजेंट से 300 ट्रक का मालिक बन गया सत्येंद्र:धनतेरस पर खरीदी थी डेढ़ करोड़ की ज्वेलरी, पटना पुलिस ने रायपुर से जब्त किए ट्रक
इश्योरेंस एजेंट से ट्रांसपोर्टर बने मुजफ्फरपुर शहर की सहजानंद काॅलोनी के सत्येंद्र सिंह ने रायपुर व नागपुर में 300 से ज्यादा ट्रक बेच कर अकूत संपत्ति अर्जित कर रखी थी। बिहार, झारखंड और ओडिशा के ट्रांसपोर्टर्स के ट्रक बेचकर उसने मोटी काली कमाई की। पुलिस काे उसके पास से 283 ट्रक के दस्तावेज मिले हैं। ये ट्रक उसने बिहार-यूपी समेत कई राज्यों के ट्रांसपोर्टर से किराए पर लिए थे। इसके अलावा उसके द्वारा 5 करोड़ रुपए का गोल्ड खरीदने का बैंक स्टेटमेंट ट्रांसपोर्टर्स के हाथ लगे हैं।
इस साल धनतेरस में भी उसने डेढ़ करोड़ के आभूषण और स्कॉर्पियो खरीदी थी। उसके गैंग में पटना के नागेंद्र सिन्हा और राकेश प्रमुख सहयोगी थे। रायपुर में गिरफ्तार सत्येंद्र की निशानदेही पर अब तक रायपुर व नागपुर में दाे दर्जन से ज्यादा ट्रक बरामद किए गए हैं। इनमें अमरेंद्र कुमार समेत मुजफ्फरपुर के कई ट्रांसपोर्टर्स के ट्रक भी हैं। कुछ ट्रक नागपुर में और दो ट्रक कोलकाता में बरामद हाेने की बात सामने आ रही है। उधर, जिले के ट्रांसपोटर भी रायपुर व नागपुर में अपनी-अपनी गाड़ी की खोजबीन में जुटे हुए हैं। रायपुर में कैंप कर रहे यहां के ट्रांसपोर्टर कृष्ण राय ने कहा कि मुजफ्फरपुर की सिर्फ एक गाड़ी रायपुर में मिली है।
सत्येंद्र के बड़े भाई ने कहा- पटना के नागेंद्र ने ट्रांसपोटर्स से किया था एग्रीमेंट
सत्येंद्र के बड़े भाई वीरेंद्र सिंह ने कहा कि उनका भाई निर्दोष है। पटना के नागेंद्र सिन्हा ने मुजफ्फरपुर के ट्रक मालिकों से एक हजार के स्टाम्प पर एग्रीमेंट किया था। सत्येंद्र उसमें गवाह है। सभी ट्रक मालिकों काे अकाउंट में पेमेंट किया गया। कुछ काे चेक भी दिए गए। 4 दिन पहले ट्रक गायब हाेने पर सत्येंद्र भी सहयोग करने के लिए रायपुर गया था। उसकी सुरक्षा के लिए सदर थाने में लिख कर दिए हैं।
भिखनपुरा के ट्रांसपोर्टर काे दिया था प्रति ट्रक 15 हजार रुपए कमीशन का प्रलोभन
भिखनपुरा के एक ट्रांसपोर्टर ने बताया कि जुलाई में प्रति ट्रक 15 हजार कमीशन का प्रलोभन देते हुए उसने हमारे ग्रुप से जुड़े लाेगाें के ट्रक भाड़ा पर दिलवाने के लिए कहा था। उसकी शर्त थी कि ड्राइवर-खलासी के साथ जीपीएस भी कंपनी का रहेगा। यह पूछने पर कि जीपीएस ट्रक मालिक का क्यों नहीं रहेगा, उसका तर्क था कि अडाणी ग्रुप का महंगा माल लोड हाेगा। जीपीएस के मुद्दे पर ही इन्होंने अपना और अपने लाेगाें का ट्रक उसे नहीं दिए।