Surya Grahan 2023: साल का पहला सूर्यग्रहण इसी महीने, लखीसराय के पंडित से जानिए क्या होगा असर

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Surya Grahan 2023: साल का पहला सूर्यग्रहण इसी महीने, लखीसराय के पंडित से जानिए क्या होगा असर

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Surya Grahan 2023: अप्रैल माह में लगने वाला सूर्य खग्रास ग्रहण होगा. जो भारतीय समयानुसार 20 अप्रैल को सुबह 7:05 बजे से शुरू होगा.

लखीसराय: वर्ष 2023 में कुल 4 ग्रहण देखने को मिलेंगे. जिसमें 3 सूर्यग्रहण और एक चंद्र ग्रहण है. जिसे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से देखा जा सकेगा और इसका अनुकूल और प्रतिकूल प्रभाव भी देखने को मिलेगा.

ग्रहण को पौराणिक काल से काफी महत्वपूर्ण माना गया है. यह वेद, पुराण, ज्योतिष और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है, जिसका भूभाग पर मौजूद जीव-जंतू के साथ-साथ वनस्पतियों पर समयनुसार अनुकूल और प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. अगर पुराणों और वेदों को मानें तो भारत के ऋषि-मुनियों को ग्रह नक्षत्रों की इस घटना का ज्ञान काफी पहले से था. जिसे उन्होंने प्रमाण के तौर पर पुराणों और वेदों में अंकित भी किए हुए हैं. वहीं इसकी गणना पद्धति और प्रभावों का भी सूचित विवरण इसमें दर्ज है.

वैदिक ग्रंथों के अनुसार ग्रहण ज्ञान के जनक अत्रि मुनि हैं. जिन्होंने सबसे पहले इस खगोलीय घटना का ज्ञान लोगों को दिया था. इसका वर्णन ऋग्वेद में अंकित है. लेकिन 20 अप्रैल 2023 को लगने वाला यह सूर्यग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा.

कब लगेगा सूर्यग्रहण और कब तक रहेगा इसका प्रभाव

अप्रैल माह में लगने वाला सूर्य खग्रास ग्रहण होगा. जो भारतीय समयानुसार 20 अप्रैल को सुबह 7:05 बजे से शुरू होगा. ग्रहण का खग्रास 8:07 बजे पर होगा और सूर्य ग्रहण का मध्य सुबह 9:45 बजे तक होगा. वहीं ग्रहण की समाप्ति दोपहर 12:29 बजे होगी. सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 24 मिनट की होगी. लेकिन भारतीय लोग इसको नहीं देख पाएंगे क्योंकि यह ग्रहण प्रवाभी तौर पर मध्य दक्षिण और उत्तरी अमेरिका से होकर गुजरेगा. जिसके करण मैक्सिको, संयुक्त अमेरिकी देशों के साथ-साथ पश्चिमी गोलार्ध के लोग इस सूर्यग्रहण को देख पाएंगे.

क्या है सूर्यग्रहण को लेकर मान्यताएं

भारत में इसको लेकर कई मान्यताएं है. जिसके सिद्धांत एक-दूसरे से भिन्न हैं. पुराणों की अगर बात करें तो मत्स्य पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार सूर्यग्रहण का संबंध अमृत पान और राहु-केतु की कथाओं से है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना है. जिसके फल गणनाओं के आधार पर तय किया जाता है. लेकिन अगर वर्ष में तीन या उससे अधिक ग्रहण लगे तो उसे अशुभ माना जाता है. महाभारत की घटना को इसमें प्रमाण के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है. वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक खगोलीय घटना है. इसके अनुसार जब चंद्रमा घूमते-घूमते सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो सूर्य की रोशनी ढक जाती है और सूर्य पूर्ण रूप से दिखाई नहीं पड़ता है. इस घटना को सूर्यग्रहण कहते है .

भारत के लोगों पर नहीं पड़ेगा सूर्यग्रहण का प्रभाव

पंडित सुधीर पांडेय बताते हैं कि एक वर्ष में तीन सूर्यग्रहण का लगना शुभ संकेत नहीं है. उन्होंने द्वापर का उदाहरण देते हुए बताया कि तीन सूर्यग्रह के करण ऐसा संयोग बना था कि महाभारत जैसा महा युद्ध हो गया था. इस वर्ष राजनीतिक एवं अन्य मामलों में काफी उथल-पुथल रहेगी. रोग व्याधि अपना प्रभाव दिखा सकते हैं. हालांकि उन्होंने भारत के लोगों को इससे चिंता मुक्त रहने की बात भी कही है. उन्होंने बताया कि सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखेगा. जिसके कारण यहां उसका प्रभाव भी नहीं पड़ेगा, लेकिन जहां-जहां यह दिखेगा अपना प्रकुल प्रभाव अवश्य दिखाएगा.

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