जलसंचय:बहलखाना, महाराजी, गोबरसही व डुमरी पोखर के भिंडा कब्जाने वालों को नोटिस
अब तालाब-पाेखर अतिक्रमण करने वालाें की खैर नहीं है। हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद प्रशासन ने शहर के महाराजी पाेखर, बहलखाना, गोबरसही और डुमरी पाेखर व गोपालपुर तराैड़ा पाेखर के भिंड पर कब्जा करने वालाें काे नोटिस दिया है। साेमवार काे मुशहरी सीओ ने अतिक्रमणकारियों का पक्ष सुना। आगे भी सुनवाई हाेगी। ज्ञात हाे कि हाईकोर्ट में चार सप्ताह के अंदर जलसंचय स्थल पर अतिक्रमण काे लेकर हलफनामा दायर करना है। यह हलफनामा तिरहुत, दरभंगा और मुंगेर प्रमंडलों काे देना है। राज्य में जलसंचय काे लेकर प्रशासन गंभीर है।
16 नवंबर काे पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद तिरहुत साथ बाकी दाेनाें प्रमंडलों काे भी चार सप्ताह का समय दिया था। उसी के बाद मुशहरी सीओ ने इन सभी महत्वपूर्ण तालाब के भिंड कब्जाने वालाें काे नोटिस दिया गया। साेमवार काे तीन साै के करीब लाेग सीओ के पास अपना पक्ष रखने पहुंचे। सीओ ने अगली सुनवाई का समय अभी तय नहीं किया है।
महाराजी पाेखर के भिंड पर बसे लाेगाें ने खुद काे बताया रैयत
मुशहरी सीओ के यहां सुनवाई के दाैरान महाराजी पाेखर के भिंड पर बसे लाेगाें ने अपना पक्ष रखा। कहा- यहां दरभंगा महाराज के रैयत 50 साल से ज्यादा से हैं। शाहनवाज हुसैन नौशाद ने कहा कि उन लाेगाें ने हाईकोर्ट में अर्जी दे रखी है। गरीबों काे उजाड़े बिना भी पाेखर काे विकसित किया जा सकता है। बहलखाना पाेखर पर रह रहे लाेगाें ने सीओ काे बताया कि वे लाेग निगम में साफ-सफाई करते हैं और कचरा उठाते हैं। निगम प्रशासन ने ही 50 साल से भी ज्यादा पहले उन लाेगाें काे यहां जगह दी। वे सभी अत्यंत गरीब और भूमिहीन हैं। बाकी पाेखर के अतिक्रमणकारियों ने भी अपना पक्ष रखा।
हाईकाेर्ट में सुनवाई की तारीख तय है एक दिसंबर
हाईकोर्ट में एक दिसंबर काे पटना और मगध प्रमंडल में तालाब, पाेखर और जलसंचय वाले स्थान के अतिक्रमण काे लेकर सुनवाई हाेनी है। हाईकोर्ट के कड़े रूख से प्रशासन की बेचैनी बढ़ी हुई है। अतिक्रमण के कारण दाे साल से अधिक से शहर के महाराजी पाेखर के सौंदर्यीकरण काे लेकर नगर निगम और बुडकाे का प्रयास विफल रहा है।