क्यूआर कोड से भीख मांग रहे भिखारी : मिलिए QR CODE वाले भिखारी से ….

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क्यूआर कोड से भीख मांग रहे भिखारी

मिलिए QR CODE वाले भिखारी से ….

 छुट्टा नहीं होने का बहाना नहीं चलेगा :अगर आपके पास छुट्टे पैसे नहीं है तो आप अक्सर भिखारियों को पैसे देने से मना कर देते हैं। पर अगर क्या हो कि भिखारी आपसे क्यूआर कोड से पैसे देने को कहे।

            प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ये अक्सर दावा करते हैं कि डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत में क्रांति हो गयी है. लेकिन बिहार की ये कहानी शायद उन्हें भी हैरान कर देगी. बिहार का एक भिखारी डिजिटल पेमेंट के जरिये भीख मांग रहा है. गले में QR कोड लटका कर वह लोगों से भीख मांगता है. छुट्टा नहीं है तो कोई बात नहीं है, UPI के जरिये भीख दे दीजिये.

बेतिया रेलवे स्टेशन का भिखारी

बिहार का ये भिखारी बेतिया रेलवे स्टेशन पर भीख मांगता है. राजू नाम का यह शख्स बचपन से ही रेलवे स्टेशन पर रहता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि जब से उसे देखा है तब से वह लोगों से भीख मांग कर अपना भरण-पोषण करता आ रहा है. लेकिन देश में डिजिटल पेमेंट का प्रचलन बढ़ने के बाद राजू को भीख मांगने में परेशानी हो रही थी. अक्सर लोग कहते थे कि छुट्टा नहीं है. इस लिए उसने बैंक में खाता खुलवाया, फिर UPI के जरिये पेमेंट लेने के लिए QR कोड लिया. अब वह लोगों को कहता है कि छुट्टा पैसे देने के बजाय QR कोड स्कैन करके पैसे डाल दीजिये.

बैंक खाता खोलने में आई परेशानी

उसने बताया कि बैंक खाता खोलने में भी काफी दिक्कतें हुई थी। जब मैंने बैंक में संपर्क किया तो आधार कार्ड और पैन कार्ड की मांग की गई। आधार कार्ड तो पहले से था, लेकिन पैन कार्ड बनवाना पड़ा। इसके बाद बीते महीने ही बेतिया के स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा में खाता खुलवाया। बैंक खाता खुल जाने के बाद ई-वॉलेट भी बनवा लिए।

लालू भी थे राजू के फैन

खुद को लालू प्रसाद का बेटा कहने वाला राजू पश्चिम चंपारण जिले में लालू के सभी कार्यक्रमों में जरूर पहुंचता था। राजू बताता है कि लालू यादव भी उसके फैन थे और वह उनका इतना चहेता था कि साल 2005 में लालू प्रसाद यादव के आदेश पर उसे सप्तक्रांति सुपर फास्ट एक्‍सप्रेस की पैंट्री कार से रोज भोजन मिलता था। यह सिलसिला साल 2015 तक चला। इसके बाद अब वह अपने पैसे से भोजन करता है।

 

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