कोरोना से जंगः बिना मास्क सरकारी अस्पतालों में प्रवेश नहीं, बढ़ रही मरीजों की संख्या
बिहार: बिहार में कोरोना पांव पसारने लगा है। पिछले कुछ दिनों से पटना, भागलपुर, गया जैसे शहरों में कोरोना के मामले मिलने के बाद राज्य सरकार ने सतर्कता बढ़ाने के लिए ऐहतियाती कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही, मास्क पहनने के लिए प्रचार-प्रसार करने को भी कहा गया है। बिना मास्क राज्य के सरकारी अस्पतालों में प्रवेश नहीं मिलेगा। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से कोविड से बचने के सभी नियमों का पालन करने की अपील की है। कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विभाग की ओर से अस्पतालों में पूरी तैयारी रखने को भी कहा है। विशेषकर जांच में और तेजी लाने का निर्देश दिया गया है।
बीते दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अफसरों के साथ कोरोना की समीक्षा की थी। उसी के मद्देनजर सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत और स्वास्थ्य सचिव संजय सिंह ने सभी मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक, सभी सिविल सर्जनों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग से समीक्षा बैठक की और कई निर्देश दिए।
3 नए करोना मरीज मिले, एक्टिव मरीजों की संख्या 44
राज्य में सोमवार को कोरोना के तीन मरीज मिलने की पुष्टि हुई। इनमें पटना के दो और गया के एक मरीज हैं। अब राज्य में कुल सक्रिय कोरोना मरीजों की संख्या 44 हो गई। इसमें पटना के ही 30 मरीज हैं। मात्र चार दिनों में राज्य में सक्रिय मरीजों की संख्या 29 से बढ़कर 44 हो गई।
कहते हैं अधिकार
कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने लोगों से कहा है कि घबराना नहीं है लेकिन सावधानी रखना जरूरी है। उन्होंने बताया कि आठ राज्यों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़े हैं। चूंकि रेल और हवाई सेवा बंद नहीं है। ऐसे में बिहार में सावधानी जरूरी है। उन्होंने सभी जिलों के स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट रखने का निर्देश दिया है। सभी सदर अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था रखने का निर्देश दिया गया है।
12 जिलों में कोरोना की जांच में सुस्ती, लगी फटकार
औरंगाबाद, किशनगंज, जमुई, नालंदा, सहरसा, सारण, समस्तीपुर, जहानाबाद, प. चंपारण, वैशाली, कैमूर में जांच की रफ्तार बहुत ही धीमी है। इन जिलों को फटकार लगाई गई है। यहां के सिविल सर्जन को जांच में तेजी लाने को कहा है। बिहार में रोज 30 हजार से अधिक जांच हो रही है जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।