एक-एक मिलर 50 लाख से ऊपर पूंजी लगाकर फंसे, अरवा चावल की खरीद से इन्कार पर त्राहिमाम
अरवा चावल के मिलर के अनुसार एक मिल बैठाने में 50 लाख से एक करोड़ के बीच का खर्च आता है। तब जाकर मिल प्लांट बैठ पाता है। वहीं अब ऐसे में उनकी पूंजी पूरी तरह से फंस चुकी है।
सीतामढ़ी। जिले में अरवा चावल के मिलर गुस्से में हैं। उनके समक्ष बड़ा संकट आ खड़ा हुआ है। सरकार ने अरवा चावल की खरीद से हाथ खड़े कर दिए हैं। पहले तो सरकार ने प्रोत्साहित किया, अब कह रही है 80 प्रतिशत उसना, 20 प्रतिशत अरवा चावल ही खरीदेंगे। सरकार की घोषाणा पर मिलरों ने अरवा मिल का प्लांट बैठाया। इस प्रकार 30 से भी अधिक अरवा चावल मिल लग गए। भूपभैरव कोठी के अरवा चावल मिलर रवि भूषण का कहना है कि सरकार ने अब अरवा चावल की खरीद से इन्कार कर दिया है। वह सिर्फ उसना चावल ही खरीदेगी। को-आपरेटिव बैंक की अध्यक्ष मधु प्रिया ने डीएम मनेश कुमार मीणा को पत्र लिखकर मिलरों की समस्या से अवगत कराते हु अविलंब कोई न कोई रास्ता निकालने का आग्रह किया है।
मधु प्रिया का कहना है कि सरकार के नियम के अनुसार, 80 प्रतिशत उसना चावल व बीस प्रतिशत अरवा चावल खाद्य निगम को उपलब्ध कराया जाना है, लेकिन वास्तविकता यह है कि जिला में कार्यरत मिलरों की संख्या में उसना चावल तैयार करने वाले मिलरों की संख्या नगण्य है। विभागीय आकंडे के अनुसार, जिले में अब तक 105008.100 मीट्रिक टन धान की खरीद हो चुकी है। वही उसना चावल तैयार करने वालों की संख्या नगण्य है। ऐसे में सीएमआर न तो समय पर खाद्य निगम को आपूर्ति हो पाएगी और न उसके बदले धान मिलर को दिया जा सकेगा। ऐसे में पैक्स व व्यापार मंडल की ओर से खरीदा गया धान मिलर को देने में काफी समय लगेगा। इसके पैक्स व व्यापर मंडल को अनावश्यक घाटा उठाना पड़ेगा।
बाजपट्टी के उप प्रमुख व व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुधीर कुंवर ने भी कहा कि शासन-प्रशासन अविलंब कोई कारगर कदम नहीं उठा पाया तो खरीदा गया धान सड़क बर्बाद हो जाएगा और उसका चावल तैयार नहीं हो पाने की स्थिति में लाभुकों तक पहुंच भी नहीं पाएगा। अरवा चावल के मिलर सरकार के इस फैसले से रोष में हैं।
अरवा चावल मिलर का कहना है कि सरकार ने ऐसा निर्णय लिया है जबकि इससे पहले रजिस्ट्रेशन लिया गया। कई अन्य प्रक्रिया भी पूरी कराई गई और अब इन्कार कर रही है। अरवा चावल के मिलर के अनुसार एक मिल बैठाने में 50 लाख से एक करोड़ के बीच का खर्च आता है। तब जाकर मिल प्लांट बैठ पाता है। ऐसे में उनकी पूंजी फंस चुकी है। अब अरवा चावल मिल को उसना चावल के मिल के रूप में तब्दील करने में करीब 5 करोड़ का खर्च आएगा। यही वजह है कि जिले में पांच से भी कम उसना चावल के मिलर हैं। ऐसे में अचानक से यह संभव नहीं है कि अरवा चावल मिल को उसना चावल मिल के रूप में तब्दील कर सकें।