उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल एसकेएमसीएच के ब्लड बैंक में महज 4.05% ब्लड ही स्टोर है। यहां काेराेना संक्रमण शुरू हाेने के बाद से ही ब्लड बैंक में लगातार खून की कमी रह रही है। दाे साल तक काेराेना संक्रमण के कारण ब्लड डाेनेशन कैंप नहीं लगने के कारण खून की कमी रही। अब संक्रमण खत्म हाेने के बाद ब्लड डाेनेशन कैंप लग रहा है। लेकिन यहां जरूरतमंद मरीजाें की इतनी संख्या है कि खून की कमी हमेशा ही रह रही है। नतीजा यह है कि मरीज काे दूसरे ब्लड बैंक का सहारा लेना पड़ रहा है। जबकि, जिले के चाराें ओर एनएच हाेने के कारण प्राय: सड़क हादसे हाेते रहते हैं।
इसके अलावा आसपास के सात दूसरे जिले में सड़क दुर्घटना में जख्मी मरीज भी यहां आते हैं। इनमें से खून की कमी से कई लोगों की जान चली जाती है। बताया जाता है कि एसकेएमसीएच के इस ब्लड बैंक में 2000 यूनिट ब्लड को स्टोर में रखने की क्षमता है, लेकिन यहां मात्र 4.05% ब्लड ही शेष बचा है। 350 एमएल में ए निगेटिव और बी निगेटिव खून काफी दिनाें से खत्म है। जबकि 100 एमएल में बी पॉजिटिव की 3 यूनिट और ओ पॉजिटिव की 1 यूनिट खून यानि कुल 4 यूनिट ही खून बचा है।
ब्लड बैंक में उपलब्ध खून
ए पॉजिटिव 4 यूनिट,
बी पॉजिटिव 20 यूनिट,
ओ पॉजिटिव 47 यूनिट,
ए व बी पॉजिटिव 5 यूनिट,
ओ निगेटिव 1 यूनिट
एबी निगेटिव 2 यूनिट
देश में हर दिन करीब 12,000 की मौत खून की कमी से
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, भारत को हर साल 15 मिलियन यूनिट खून की जरूरत होती है लेकिन केवल 11 मिलियन यूनिट ही एकत्र हो पाता है। आंकड़ों के अनुसार, खून की कमी यानी जरूरत के अनुसार खून नहीं मिल पाने से भारत में हर दिन करीब 12,000 लोगों की मौत हो जाती है। इसकी वजह है जरूरत मुताबिक खून संग्रह नहीं होना। जागरूकता के अभाव और रक्तदान को लेकर फैली भ्रांतियों के कारण बड़ी संख्या में लोग रक्तदान करते से हिचकते हैं।
जिस कारण देश की जरूरत के मुताबिक रक्त संग्रह नहीं हो पाता है। खासकर कुछ ब्लड ग्रुप ऐसे हैं जिसका इंतजाम काफी मुश्किल से हो पाता है जैसे-एबी निगेटिव, ए निगेटिव, बी निगेटिव, एबी पॉजिटिव और बॉम्बे ब्लड ग्रुप। बॉम्बे ब्लड ग्रुप रेयर ब्लड ग्रुप होता है जो काफी मुश्किल से मिलता है।