मुजफ्फरपुर के पांच लोग, पाकिस्तान के कटासराज शिव मंदिर जाएंगे,
जानिए…1000 साल पुराना इतिहास
पाकिस्तान स्थित हिंदुओं के धर्मस्थल शिव मंदिर कटासराज (Katasraj Shiv temple) का दर्शन करने मुजफ्फरपुर से पांच लोगों का इस बार चयन हुआ है। वे सभी कटासराज शिव मंदिर (Katasraj Shiv Mandir) के साथ-साथ भगवान श्रीराम के पुत्र लव की समाधि स्थल का भी दर्शन और पूजन करेंगे।
इनका चयन भारत पाक समझौता 1972 के तहत हुआ है। इसके तहत प्रत्येक वर्ष भारत से दो सौ व्यक्तियों को कटासराज दर्शन के लिए केंद्र सरकार अपने खर्च पर भेजती है। इस बार दर्शन के लिए शहर से पांच लोगों का चयन किया गया है। इनमें आचार्य डॉ चंदन उपाध्याय, अमित कुमार, कृष्ण कुमार प्रभाकर, मनीष कुमार और पवन कुमार मेहता शामिल हैं।
ब्राह्मणटोली निवासी डॉ चंदन ने बताया कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार सती दाह के बाद भगवान शिव की आंख से दो बूंद आंसू गिरे थे। एक से रुद्राक्ष और दूसरे से कटासराज स्थित सरोवर का निर्माण हुआ। इस सरोवर की मान्यता मानसरोवर के बराबर है। उन्होंने बताया कि वो अपनी टीम के साथ 25 फरवरी को ट्रेन से अमृतसर पहुंचेंगे। 26 फरवरी को भारत सरकार से यात्रा के दिशानिर्देश दिए मिलेंगे और 27 फरवरी को वाघा बॉर्डर होते हुए पाकिस्तान के लिए रवाना होंगे। पांच मार्च को उनकी वापसी होगी। इस धार्मिक यात्रा पर जा रहे लोगों ने इस बात पर हर्ष जताया कि शिवरात्रि के अवसर पर वो भगवान शिव का पाकिस्तान में दर्शन कर पाएंगे।
पाकिस्तान के कटासराज मंदिर का इतिहास करीब 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है। ये मंदिर निमकोट पर्वत शृंखला में स्थित है। इसके चारों तरफ सेंधा नमक की खदानें हैं। मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसी जगह माता सती के पिता दक्ष ने भगवान शिव पर कई कटाक्ष किए थे। उससे मंदिर को कटासराज का नाम मिला है।