पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के अगले सप्ताह
समाप्त होने के साथ ही पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने शुरू हो सकते हैं।
रूस से तेल की आपूर्ति में व्यवधान की आशंका से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल का दाम 2014 के बाद पहली बार 113 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गए। आईआईएफएल सिक्युरिटीज के उपाध्यक्ष अनुज गुप्ता का कहना है कि यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों 113 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी रहती हैं तो घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 15-20 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो सकती है।
तत्काल प्रभाव से नौ रुपये बढ़ाने की जरूरत
ब्रोकरेज कंपनी जेपी मॉर्गन ने एक रिपोर्ट में कहा है कि अगले हफ्ते तक राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त हो जाएंगे। अनुमान है कि इसके बाद ईंधन की दरें दैनिक आधार पर बढ़ सकती हैं। कच्चे तेल के दाम चढ़ने से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को पेट्रोल और डीजल पर 5.7 रुपये प्रति लीटर का घाटा उठाना पड़ रहा है। तेल विपणन कंपनियों को सामान्य विपणन मुनाफा प्राप्त करने के लिए खुदरा कीमतों में 9 रुपये प्रति लीटर या 10 प्रतिशत की वृद्धि करने की आवश्यकता है।
अनुज गुप्ता का कहना है कि पांच राज्यों में चुनावों के बाद अगले सप्ताह से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हो जाएगी।
पेट्रोलियम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ के मुताबिक, भारत जो कच्चा तेल खरीदता है उसके दाम एक मार्च को 102 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गए। ईंधन का यह मूल्य अगस्त 2014 के बाद सबसे ज्यादा हैं। पिछले साल नवंबर की शुरुआत में जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि पर लगाम लगी थी, तब कच्चे तेल की औसत कीमत 81.5 डॉलर प्रति बैरल थी।