उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक से जुड़ा हुआ है मामला। यहां अधिकारियों की मिलीभगत से चीजों को अंजाम दिया गया। 14 बिंदुओं पर पुलिस कर रही जांच। हाईकोर्ट में मामला लंबित होने की वजह से पुलिस के अधिकारी भी अपने स्तर से इसकी तैयारी में जुटे हैं।
उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक की लगभग 125 शाखाओं में सौ करोड़ रुपये से अधिक के गबन मामले में पुलिस फिलहाल 14 बिंदुओं पर जांच कर रही है। यह पता लगाया जा रहा है कि बैंक की राशि का गबन किस- किस तरीके से किया गया। यह जांच की जा रही है कि यह गबन किस स्तर तक किया गया और किस स्तर के अधिकारियों की इसमें संलिप्तता रही। इसमें वह बिंदु शामिल है जिसे बैंक के तत्कालीन आंतरिक आडिटर नवनीत कुमार ने अपनी प्राथमिकी में लगाया था। अब तक की जांच में यह बात सामने आ रही है कि बैंक की कई शाखाओं से अधिकारियों ने अपने नाते रिश्तेदारों के फर्जी व्यवसाय के नाम पर ऋण दिलाया। जिस व्यवसाय के नाम पर ऋण दिलाया गया वह किसी ने किया ही नहीं। ऋण के देने के नाम पर राशि का बंदरबांट करने का मामला भी सामने आ रहा है।
मामला हाईकोर्ट में पेंडिंग
बैंक की शाखाओं में सौ करोड़ रुपये से अधिक के गबन का मामला हाईकोर्ट में लंबित है। हाईकोर्ट ने वरीय पुलिस अधीक्षक को इस मामले की स्वयं पर्यवेक्षण करने का निर्देश दिया था। इस निर्देश के बाद पुलिस की ओर से कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर इस मामले की आगे जांच की अनुमति ली गई। कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद पिछले चार-पांच दिनों से पुलिस अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे थे। बैंकिंग कार्यों से जुड़े लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने व अब तक की जांच में मिले साक्ष्यों के आधार पर पुलिस अधिकारी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इस रिपोर्ट के संबंध में पुलिस अधिकारी कुछ नहीं बता रहे हैं।
आंतरिक आडिटर ने लगाया था यह आरोप
उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के तत्कालीन आंतरिक आडिटर व इस मामले के सूचक नवनीत कुमार ने आरोप लगाया था कि भारतीय रिजर्व बैंक की एनपीए नियमों की अवहेलना करते हुए गलत तरीके से ऋण खाता से ब्याज कमाना और बैंक के बैलेंसशीट में गलत तरीके से कमाए गए ब्याज को दर्शाना। बैंक की विभिन्न शाखाओं के कई खाता है,जिसे वास्तव में एनपीए होना चाहिए उसे पीए खाता दर्शा कर गलत तरीके से ब्याज की कमाई की जा रही है। आय मान्यता और वर्गीकरण का आकलननमा (आइआरएसी) मानदंडों का उल्लंघन व वास्तविक रूप में विभिन्न फर्जी खाता, एनपीए खाता, बैड ऋण की बैलेंसशीट , सिक्योरिटी फीडिंग को ठीक करने के साथ-साथ अनुचित उधार कर्ता का ऋण स्वीकृत करना, तथाकथित फिक्स डिपोजिट के रूप में एक संपर्श्विक जमानत के रूप में ऋण की राशि का भुगतान करना, गलत तरीके से किसान क्रेडिट कार्ड का नवीकरण करना, दबाव देकर गलत ऋण दिलवाना व फिर ऋण की राशि से व्यक्तिगत कमाई करने का आरोप शामिल है।