मैं मुजफ्फरपुर हूं. लेकिन, मैं इस समय दुख और असहनीय पीड़ा से कराह रहा हूं. इसकी वजह यह है कि मेरे जो नौनिहाल मेरी गोद में अठखेलियां करते थे, वे एक-एक कर काल-कवलित होते जा रहे हैं. मुझे मालूम है कि इसके लिए दोषी कौन हैं, लेकिन मैं कर भी क्या सकता हूं! सिवाए अपने मासूम नौनिहालों को दर्द और पीड़ा से कराहते और दम तोड़ते देखने के, क्योंकि मेरे जिले में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी AES नामक बीमारी ने कोहराम मचा कर रखा है. इस कारण पूरे देश की निगाहें मेरे ऊपर लगी हैं.
मेरी पीड़ा इस बात को लेकर भी है कि जिस शाही लीची के कारण मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर हुआ, आज मेरी उसी लीची को AES का एक कारण बताया जा रहा है. चलिए इसी बहाने मैं आपको अपना परिचय देता हूं
मैं 18वीं शताब्दी में तिरहुत के पहले जिले को विभाजित कर अस्तित्व में आया और मेरा नामकरण उस समय के राजस्व अधिकारी मुजफ्फरपुर खान के नाम पर किया गया. मुझे लीची की भूमि भी कहते हैं, क्योंकि मेरी शाही लीची अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात है. मैं 3,173 वर्ग किलोमीटर यानी 1.225 वर्ग मील में फैला हूं. मेरी धरती पर रहने वाले लोगों की संख्या यानी कुल जनसंख्या 48 लाख एक हजार 62 है. हिंदी और मैथिली मेरी मुख्य भाषा है, जबकि वज्जिका मेरे यहां की स्थानीय भाषा है. मेरी साक्षरता दर 84 प्रतिशत के आस-पास है. यानी तकरीबन शिक्षित हूं मैं. मेरे जिले का लिंगानुपात 900/1000 है.
Article by Swaraj Srivastava from Muzaffarpur wow