अरबपति अनिल अग्रवाल ने शेयर किया बिहार प्रेम, बोले-बिहार में बसता है दिल, लौट आता हूं बचपन की ओर

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अरबपति अनिल अग्रवाल ने शेयर किया बिहार प्रेम, बोले-बिहार में बसता है दिल, लौट आता हूं बचपन की ओर

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बिहार के अनिल अग्रवाल जो लंदन में भारत का डंका बजा रहे हैं। उनका बिहार प्रेम किसी से छुपा नहीं है। बिहार दिवस के मौके पर एक बार फिर उनका बिहार प्रेम निकल कर सामने आया। जहां उन्होंने कहा कि जैसे ही मुझे बिहार का रोड साइन दिखना शुरू होता है, मैं बहुत खुश हो जाता हूं। ‘ बिहार आने का मतलब मेरे लिए मेरा बचपन है, जो प्यार, खुशी और अच्छे खाने से भरपूर है।

बिहार के प्रति अपना प्रेम और लगाव व्यक्त करते हुए अनिल अग्रवाल ने कहा कि इस जगह के लिए मेरे प्यार की व्याख्या करने के लिए पर्याप्त शब्द नहीं हैं। बिहार की हर बात पूरी दुनिया से हट कर है। उन्होंने ट्विटर पर लिखते हुए कहा कि आप सबको पता है कि अंग्रेजी मेरी पहली भाषा नहीं है, लेकिन मुझे “होमसिक” का मतलब तब समझ आया जब मुझे काम की वजह से बिहार छोड़ कर जाना पड़ा।

 

बिहार के अनिल अग्रवाल जो लंदन में भारत का डंका बजा रहे हैं। उनका बिहार प्रेम किसी से छुपा नहीं है। बिहार दिवस के मौके पर एक बार फिर उनका बिहार प्रेम निकल कर सामने आया। जहां उन्होंने कहा कि जैसे ही मुझे बिहार का रोड साइन दिखना शुरू होता है, मैं बहुत खुश हो जाता हूं। ‘ बिहार आने का मतलब मेरे लिए मेरा बचपन है, जो प्यार, खुशी और अच्छे खाने से भरपूर है।बिहार के प्रति अपना प्रेम और लगाव व्यक्त करते हुए अनिल अग्रवाल ने कहा कि इस जगह के लिए मेरे प्यार की व्याख्या करने के लिए पर्याप्त शब्द नहीं हैं। बिहार की हर बात पूरी दुनिया से हट कर है। उन्होंने ट्विटर पर लिखते हुए कहा कि आप सबको पता है कि अंग्रेजी मेरी पहली भाषा नहीं है, लेकिन मुझे “होमसिक” का मतलब तब समझ आया जब मुझे काम की वजह से बिहार छोड़ कर जाना पड़ा।

बता दें कि वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल हाल ही में बिहार आए थे। जिसके बारे में बात करते हुए उन्होंने लिखा कि मुझे उन गलियों में जाने का मौका मिला, जहां मैंने अपना बचपन बिताया था। वहां पहुंचते ही मैंने सबसे पहले लिट्टी खायी, वो भी धनिया चटनी और बैंगन चोखा के साथ। वो अहसास और स्वाद एकदम लाजवाब था। मुझे अभी भी याद है कि सर्दियों के दिनों में हम सब बच्चे आग के सामने बैठकर अपने बड़ों की लिट्टी चोखा बनाने में मदद करते थे। पूरी दुनिया देख ली, लेकिन इससे अच्छा खाना कहीं नहीं मिला। कहा जाता है ना, जहां आपका दिल लगे, वो ही आपका घर है। मेरा दिल, मेरा बचपन, मेरा सब कुछ इस खाने की थाली में है।

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